घुटनों का रिप्लेसमेंट (knee replacement in hindi) भले ही एक आम सर्जरी है परन्तु किसी के भी लिए यह एहम कदम उठाना कठिन होता है | उनके मन में हज़ारों सवाल उठते हैं जिससे उन्हें ऑपरेशन कराने में हिचकिचाहट होती है |
किसी ऐसी ही दुविधा में थे 70 साल के बुज़ुर्ग श्री. भूषण यादव और उनके बेटे गौरव यादव |
भूषण यादव पिछले कई सालों से आर्थराइटिस (arthritis) की बीमारी से जूझ रहे थे | जैसे-जैसे उनकी बीमारी बढ़ती चली गयी, वैसे-वैसे उनके घुटने जवाब देने लगे | उठने-बैठने में परेशानी होने के साथ-साथ उन्हें सीढ़ियाँ चढ़ने-उतरने में भी बहुत तकलीफ़ होती थी |
उनके बेटे गौरव ने कहाँ – “हमने घुटने के दर्द को कम करने के लिए लगभग सभी उपाय अपना कर देख लिए – चाहे वो आयुर्वेदिक बाम हो या दवाइयाँ | किसी चीज़ से उनको दर्द से राहत नहीं मिल पा रही थी |”
उनके डॉक्टर ने कई बार उनको घुटनों की रिप्लेसमेंट (knee replacement in hindi) करा लेने को कहाँ परन्तु हिम्मत न होने के कारण वह हमेशा इसको टालते रहे | जब उनके बेटे से उनकी पीड़ा और देखी नहीं गई तब उन्होंने और एक परामर्श लेने के लिए सीताराम भरतिया के सीनियर orthopedic surgeon, डॉ. विकास सेठ, को संपर्क किया |
जांच के दौरान डॉ. विकास ने भूषण जी की मेडिकल हिस्ट्री को गौर से पढ़ा | उन्होंने भूषण जी से उनके घुटने के दर्द के बारे में भी कई सवाल पूछे |
फिर डॉ. विकास ने उनके घुटने की जांच करी यह देखने के लिए कि वह कहाँ तक अपने घुटनों को मोड़ पा रहें हैं | उन्होंने भूषण जी को एक X-Ray कराने को भी कहाँ |
“सभी जांचों से यह तो साफ़ है कि आर्थराइटिस के कारण आपके घुटनों को काफ़ी नुक्सान पहुँचा है | आपके घुटने गंभीर रूप से घिस चुके है जिसकी वजह से आपको इतनी पीड़ा होती आ रही है | ऐसे में मैं आपको घुटनों की रिप्लेसमेंट (knee replacement in hindi) कराने की सलाह देना चाहूंगा” डॉ. विकास ने कहाँ |
“घबराइए नहीं | घुटनों की रिप्लेसमेंट एक ऐसी क्रिया है जिससे हम गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त घुटनों को आर्टिफिशियल (artificial) या बनावटी घुटनों से बदल देते है | इससे घुटनों के दर्द में अत्यंत राहत मिलती है और मरीज़ बिना किसी कष्ट के वापस से चल-फिर पाता है |”
गौरव को मालूम था की यही एक तरीका है जिससे उनके पिता का दर्द ठीक होगा | उन्होंने अपने पिता को हिम्मत दी और इस सर्जरी के बारे में कुछ सवाल पूछे |
Knee replacement in hindi – किन किस्सों में चाहिए हो सकता है घुटनों का रिप्लेसमेंट ?
घुटनों को कई कारणों से नुक्सान पहुँच सकता है | लेकिन घुटनों की रिप्लेसमेंट कराने का सबसे आम कारण है osteoarthritis या आर्थराइटिस | यह बुज़ुर्गों में होने वाली एक ऐसी बीमारी है जिसमें घटनों में उपस्थित नरम हड्डियाँ (joint cartilage) टूटने लगती हैं | इससे घुटनों में अत्यंत पीड़ा पहुँचती है |
“60 से ऊपर की उम्र के लोग ज़्यादातर इसी कारण अपने घुटनों का रिप्लेसमेंट कराते है |”
घुटनों को हानि पहुँचाने वाले दूसरे रोग हैं –
- rheumatoid आर्थराइटिस जिसमें घुटनों में सूजन होने लगती है
- traumatic आर्थराइटिस जिसमें घुटनों को किसी चोट या दुर्घटना के कारण नुकसान पहुँचता है
मुझे कब knee replacement (in hindi) की ज़रुरत पड़ सकती है ?
डॉ. विकास कहतें हैं – “अक्सर लोगों को सर्जरी के नाम से ही डर लगने लगता है | पर यह एक नियमतः की जाने वाली क्रिया है जिसमे मरीज़ को बिलकुल भी कष्ट नहीं होता |”
“जब घुटनों को अधिक नुकसान पहुँच चुका होता है जिसके कारण चलना-फिरना, सीढ़ियाँ चढ़ना-उतरना और अपनी आम ज़िन्दगी जीना मुश्किल हो जाता है तब प्रायः घुटनों का रिप्लेसमेंट एक आखरी रास्ता बचता है | ऐसे में दवाइयाँ और बाम सिर्फ कुछ ही समय के लिए दर्द से राहत दे पाते है |”
अगर आप घुटनों के दर्द से परेशान है तो निम्नलिखित संकेतों के होने से डॉक्टर से जांच ज़रूर कराएँ –
- घुटनों के मुड़ने की क्षमता घट जाना
- चलने-फिरने में कष्ट होना
- घुटनों में अत्यंत दर्द और सूजन होना
- सोते वक़्त या आराम करते वक़्त भी घुटनों में दर्द होना
- घुटनों का दर्द इतना ज़्यादा होना कि सामान्य जीवन जीना मुश्किल हो जाए
“घुटनों के रिप्लेसमेंट की क्रिया कैसे की जाती है ?” गौरव ने पुछा |
क्या होता है knee replacement (in hindi) की क्रिया में ?
घुटनों के रिप्लेसमेंट की क्रिया में डॉक्टर्स घुटनों के घिसे हुए हिस्सों को हटा कर उनकी जगह आर्टिफिशियल हिस्सों को स्थापित कर देते है |
डॉ. विकास ने समझाया – “सर्जरी के दौरान दर्द की आप बिलकुल चिंता न करें | पूरे क्रिया के दौरान मरीज़ को एनेस्थीसिया दिया जाता है जिससे उसको कोई परेशानी नहीं होती है | ऑपरेशन के बाद के दर्द को भी दवाइयों से आराम से मैनेज किया जा सकता है |”
पूरी क्रिया को जानने और समझने के बाद भूषण जी और उनके बेटे को थोड़ी राहत मिली | भूषण जी ने फिर पुछा – “सर्जरी के पष्चात क्या होगा ?”
Knee replacement in hindi – सर्जरी के बाद क्या ?
इस सर्जरी के बाद ज़्यादातर लोगों को घुटनों के दर्द से बड़ी राहत मिलती है | धीरे-धीरे उनके चलने की क्षमता में भी काफ़ी सुधार आता है और वह आराम से सीढ़ियाँ भी चढ़ पाते हैं |
“सर्जरी के बाद आपको कुछ दिन अस्पताल में बिताने पड़ेंगे ताकि आप पूर्ण रूप से ठीक होने पर ही घर जाएँ | कोशिश यही रहेगी कि आप जल्द से जल्द आराम से चल-फिर पाएँ |”
सर्जरी के कुछ समय बाद मरीज़ को अपने पाँवों को हलके से हिलाने के लिए प्रोत्साहन किया जाता है ताकि उनके पैरों में खून की धारा बढ़ जाए | उनको एक तरह के जूते पहनने को भी कहा जाता है जो पैरों को सूजने से रोकते है |
सर्जरी के पष्चात की देखभाल का एक एहम हिस्सा है फिजियोथेरेपी जो घुटनों को पूरी तरह ठीक करने में मदद करता है |
भूषण जी ने अपनी शंका दूर करने के लिए कुछ और सवाल पूछे –
सर्जरी के बाद मैं कितनी जल्दी चल पाऊँगा ?
“सर्जरी के बाद आप उसी दिन शाम या अगले दिन सुबह तक चल पाएँगे | पूरी तरह से अपने रोज़मर्रा की ज़िंदगी में वापस जाने के लिए आपको कम से कम 4 हफ़्ते लग सकते है” डॉ. विकास ने कहाँ |
यह आर्टिफिशियल घुटने कितने सालों तक चलेंगे ?
आज के समय में बनावटी घुटनों की क्वालिटी इतनी अच्छी होगई है कि ये आराम से 25-30 साल तक चल सकते है | ज़रूरी है कि आप रोज़ व्यायाम करें |
क्या इस सर्जरी में कोई ख़तरा है ?
सर्जरी में ख़तरे ककी आशंका बहुत कम होती है परन्तु हर सर्जरी की तरह इसमें भी कुछ परेशानियाँ आ सकती है जैसे कि –
- घुटनों के आसपास की जगह में इन्फेक्शन हो जाना
- पैरों की नसों में रक्त का जमना
- आर्टिफिशियल घुटनों का खुल जाना
मुझे कितने दिनों के लिए अस्पताल में रहना होगा ?
केवल एक घुटना रेप्लस होने पर मरीज़ को 4 दिनों के लिए अस्पताल में रहना पड़ता है परन्तु दोनों घुटनों के केस में उनको 6 दिनों के लिए भी रहना पड़ सकता है |
क्या अन्य रोग जैसे डायबिटीज और उच्च रक्त चाप होने पर यह सर्जरी कराई जा सकती है ?
एक स्वस्थ और ऐक्टिव जीवनशैली एक सुखी जीवन जीने के लिए अनिवार्य है | बहुत से लोग ऐसे है जो डायबिटीज, उच्च रक्त चाप और हृदय का रोग होते हुए घुटनों की रिप्लेसमेंट कराते है |
“सोचने वाली बात यह है कि अगर आपने अपने घुटनों का इलाज न कराया तो न चलने की वजह से आपके अन्य रोग में भी बुरा असर पड़ेगा |”
भूषण जी और उनके बेटे गौरव ने सब कुछ जानकर सर्जरी कराने का फैसला आखिर कार ले ही लिया | उन्होंने डॉक्टर के साथ मिलकर सर्जरी का दिन तय कर लिया |
सर्जरी कामयाब रही और जल्द ही भूषण जी को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया |
Knee replacement (in hindi) – फिजियोथेरेपी की भूमिका
डॉ. विकास ने गौरव और भूषण जी को कहाँ – “भले ही सर्जरी आपके घुटनों के दर्द को दूर भगा दिया है लेकिन पूरी तरह से ठीक होने के लिए नियमित रूप से फिजियोथेरेपी करना भी बहुत आवश्यक है |”
डॉ. डलवानी ने भूषण जी को सीताराम भरतिया के Consultant और Head Physiotherapist, डॉ. अमन सचदेवा, के पास जाने की सलाह दी |
डॉ. अमन ने कहाँ – “फिजियोथेरेपी से आपको अपने नए घुटने से अभ्यस्त कराने में सहायता मिलेगी |”
फिजियोथेरेपी के पहले पड़ाव में मरीज़ को कुछ सांस लेने के व्यायाम बताए जाते है और उनको अपने पैरों को हिलने की भी सलाह दी जाती है | उसके पष्चात धीरे-धीरे घुटने को मज़बूत करने के व्यायाम भी कराए जाते है |
गौरव ने ध्यान रखा के उनके पिताजी घर जाने के बाद अपने फिजियोथेरेपी सेशंस नियमित रूप से ले रहें हैं | चार हफ्ते बाद भूषण जी पूरी तरह से ठीक होगए और अपने नार्मल जीवन में वापस चले गए |
“अब मेरा घुटना मुझे बिलकुल परेशान नहीं करता | चलने-फिरने पर भी मुझे अब तकलीफ नहीं होती है | यह सर्जरी कराना एक सही फैसला था” भूषण जी ने कहाँ |
यह लेख डॉ. विकास सेठ के सहयोग से लिखा गया है। डॉ. विकास सीताराम भारतिया हॉस्पिटल में सीनियर कंसलटेंट, Orthopedics का पद निभाते है।