आज-कल की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में कई लोग अपने शरीर का ध्यान नहीं रख पाते| उनके लिए एक स्वस्थ और क्रियाशाली जीवन जीना उतना आसान नहीं रह पाता| इस वजह से, कुछ अध्ययन के अनुसार, 2018 में 56% भारतीय नागरिक मोटापा (obesity meaning in hindi) से पीड़ित थे|
मोटापा (obesity meaning in hindi) एक ऐसी अवस्था है जिसमे वज़न बढ़ने की वजह से आपके शारीरिक रूप में बदलाव भी आता है और आपके शरीर में अन्य रोगों को जन्म भी देता है| इस बीमारी में अत्यधिक मात्रा में चर्बी (fat) आपके शरीर में जमा होना शुरू हो जाता है| समय-पूर्वक निदान और उपचार ही मोटापा से जूझने का एकमात्र तरीका है|
जब से रश्मि जिंदल अपने नौकरी के लिए दिल्ली शिफ्ट हुईं, तब से वह रोज़ व्यायाम नहीं कर पा रही थी| अपना वज़न कम करने की कोशिश करने का फैसला लेकर रश्मि सीताराम भरतिया के डॉक्टर से सलाह लेने आईं| पहले उन्हें डॉ. सिल्विया एैरीन के पास चेक-उप के लिए भेजा गया|
क्या होता है मोटापा (what is obesity)?
मोटापा (obesity meaning in hindi) का निदान आपके Body Mass Index (BMI) के बलबूते पर किया जाता है| इसकी गणना आपके वज़न (kg) और कद (m) को भाग करके निकाला जाता है|
रश्मि के जांच के बाद उनका BMI 38.4 निकला, जो भारतीय दिशा-निर्देशों के अनुसार मोटापा के श्रेणी में पड़ता है|
“दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में, दक्षिण एशिया के देशों में मोटापे से संबंधित comorbidities या समस्याएं कम BMI पर होता है,” ऐसा कहना है डॉ. सिल्विया का|
डॉ. सिल्विया ने रश्मि को कुछ ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह दी|
“इन जांचों से आपका ब्लड-शुगर लेवल, इन्सुलिन लेवल, कोलेस्ट्रॉल, थाइरोइड और अन्य हॉर्मोन लेवल का पता लगाया जा सकता है| पेट के ultrasound से fatty liver और PCOD जैसे condition का पता लगाया जा सकता है|”
जांच-पड़ताल के बाद मोटापा के उपचार के तरीके आपके डॉक्टर निश्चित करेंगे|
मोटापा शरीर पर क्या असर करता है (what does obesity do to your body)?
दुनिया भर में मोटापे से पीड़ित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है| यह रोग आपके जीवन-शैली को विपरीत रूप से प्रभावित कर सकता है|
मोटापा (obesity meaning in hindi) शरीर में कई समस्याओं का कारण बन सकता है जैसे:
- टाइप 2 मधुमेह
- अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल (hyperlipidemia)
- उच्च रक्तचाप (hypertension or high blood pressure)
- sleep apnea
- गठिया (Arthritis)
- पित्ताशय में पथरी
- कोरोनरी ह्रदय का रोग
- मोटापे की वजह से fatty liver की उपस्थिति (non-alcoholic fatty liver)
- हार्मोनल असंतुलन
- Hypogonadism
- कैंसर
जैसे की आम-तौर पर माना जाता है, वज़न बढ़ना मोटापा का एक मात्र लक्षण नहीं है| मोटापा के लक्षण शारीरिक बदलावों के रूप में भी महसूस हो सकते हैं जैसे कि –
- अनियमित तौर पर माहवारी
- नींद में परेशानी (snoring, and increase in day-time sleep)
- घुटनो के जोड़ों में दर्द
- सांस फूलना
- गर्दन के पीछे, बगल में या श्रोणि हिस्से में चमड़ी में काले निशान (acanthosis)
- पेट पर असाधारण, गुलाबी निशान (pinkish or purplish streaks)
मोटापा क्यों होता है (what causes obesity)?
अपने जांच के बाद, रश्मि को इस रोग के बारे में अधिक जानकारी जानने की इच्छा हुई| डॉ. सिल्विया ने उन्हें समझाया की मोटापा के कई कारण हो सकते हैं|
1.स्वस्थ जीवन-शैली
ज़्यादा तेल-युक्त आहार और जंक फ़ूड के सेवन से आपके शरीर में कैलोरी जमा होते रहते हैं| यदि आप रोज़ अस्वास्थ्यकर भोजन खाएं और नियमित तौर पर व्यायाम भी न करें| इस वजह से शरीर में चर्बी एकत्र होना शुरू हो जाता है|
2. मेडिकल कारण
PCOD, hypothyroidism और Cushing’s Syndrome जैसे हार्मोनल समस्याओं की वजह से भी मोटापा जैसा रोग बढ़ सकता है| अतिरिक्त हार्मोन के आलावा, कुछ दवाओं जैसे steroids या antipsychotics के सेवन से भी आपके वज़न पर असर पढ़ सकता है|
3. आनुवांशिक कारण (genetic causes)
पारिवारिक या आनुवांशिक कारणों की वजह से भी आपको मोटापा का खतरा हो सकता है| इसका मतलब जन्मजात रोग की वजह से शिशु को बचपन से ही मोटा होने की प्रवृत्ति होती है| यह रोग अत्यधिक भूख (hyperphagia) से भी जुड़े हो सकते हैं|
क्या मोटापा का इलाज किया जा सकता है (can obesity be cured)?
“मोटापा को ‘lifestyle disease’ भी कहा जाता है| इसका मतलब इस रोग का इलाज तब ही किया जा सकता है जब आप अपने जीवन-शैली में सख़्त शासन बरक़रार रखें,” रश्मि को डॉ. सिल्विया ने समझाया|
ज़्यादातर परिस्थितियों में आपके डॉक्टर आपको आपके रोज़-मर्रा की ज़िन्दगी में कुछ बदलाव लाने को कहेंगे| लेकिन अगर आपके ब्लड टेस्ट रिजल्ट में अन्य जटिलताओं का पता लगे, तब आपको दवाओं या सर्जरी का सुझाव दिया जा सकता है|
मोटापा कैसे कम करें (how can obesity be treated)?
मोटापे का इलाज तीन पड़ावों में किया जा सकता है – जीवन शैली में परिवर्तन, मोटापा घटाने की दवा या pharmacotherapy, और सर्जरी|
1.जीवन शैली में परिवर्तन (Lifestyle changes) – उच्च कार्ब्स और स्टार्चयुक्त आहार, ज़्यादा तेल में बना हुआ खाना या क्रीम-युक्त आहार, processed या packaged जंक फूड, आदि का सेवन कम करें|
अपने खाने के पकाने के तरीके पर ध्यान दें, और माँसाहारी खाने का सेवन कोरमा या ग्रेवी के बजाय भुने तरीके से करें|
‘Food Plate Method’ के इस्तेमाल से अपने भोजन पर संतुलन रखें| आपके थाली में 2 servings सब्ज़ियों का हो, 1 serving प्रोटीन जैसे दाल, पनीर या अंडा हो, और 1 serving अनाज जैसे आटा, जुआर, बाजरा होना चाहिए|
इसके आलावा, हफ़्ते में 5 दिन आधा घंटा भागने, टहलने, भागना, टहलना, या एरोबिक्स, स्विमिंग, और साइकिलिंग करना आपके सेहत के लिए महत्वपूर्ण है| नियमित तौर पर व्यायाम करने की आदत डालने पर सिर्फ वज़न कम ही नहीं, लेकिन हॉर्मोन्स संतुलन में भी रहते हैं|
2. Pharmacotherapy – डॉक्टर कुछ दवा या इंजेक्शन के इस्तेमाल से आपके शरीर में जमे हुए चर्बी को घटाने की कोशिश भी कर सकते हैं| इनके सेवन से आपके खाने की इच्छा को कम, या आपके पाचन की गति को धीमा किया जा सकता है|
ध्यान में रखें की आपको दवा लेने की सलाह तब ही दी जाएगी जब कुछ अवधि के लिए अपने जीवन में परिवर्तन लाने की कोशिश की और कामयाब न हो पाए| आपको पहले कुछ oral दवा निर्धारित की जाएगी जिससे वज़न घटाने में आसानी हो| हाल ही में, वज़न घटाने के लिए injectable दवा भी अनुमोदित किए गए हैं|
3. बेरिएट्रिक सर्जरी (Bariatric surgery) – सर्जरी के बारे में तब ही सोचना चाहिए जब आप 6 महीने से 1 साल तक वज़न घटाने की कोशिश कर रहे हैं और कामयाब नहीं हो पा रहें|
अगर आपका BMI 37.5 से ऊपर हो, या 32.5 हो और और साथ में अन्य कोई बीमारी हो जैसे type 2 मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, आदि, तब आप सर्जरी करवा सकते हैं|
रश्मि के रिपोर्ट से पता चला उनके बढ़ते वज़न की वजह से उनके कोलेस्ट्रॉल और ब्लड-शुगर के लेवल बढ़ते चले जा रहे थे| डॉ. सिल्विया ने उन्हें कुछ दवाओं का सेवन करने को कहा और उन्हें डॉ. अमरचंद बजाज, सीताराम भरतिया के सीनियर जनरल और Bariatric सर्जन के पास भेजा|
मोटापा का इलाज – Bariatric सर्जरी
रश्मि सर्जरी को लेकर अनिश्चित थी और वह डॉ. बजाज से परामर्श करने गईं| सर्जरी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्होंने अपने कुछ सवाल पूछें|
कैसे किया जाता है Bariatric सर्जरी?
“Bariatric के दो प्रकार होते हैं – restrictive और malabsorption,” समझाया डॉ. बजाज ने|
Restrictive सर्जरी में पेट के आकर को कम किया जाता है, जिसकी वजह से आपका पेट ज़्यादा देरी तक भरा हुआ महसूस होता है| एक प्रकार की restrictive सर्जरी को Sleeve Gastrectomy को कहा जाता है जिसमे छोटे कट के इस्तेमाल से पेट के एक हिस्से को laparoscopically निकला जाता है|
Malabsorption सर्जरी जैसे की gastric bypass करने पर आपके पेट का खाना पचाने की क्षमता कम हो जाती है|
डॉ. बजाज ने रश्मि को समझाया की सर्जरी की विधि आपके स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है| अपने डॉक्टर के साथ विस्तार में सलाह-मशविरा करने के बाद ही यह कदम लेना उचित है|
सर्जरी के बाद क्या होता है?
Laparoscopic bariatric सर्जरी एक सुरक्षित और minimally-invasive प्रक्रिया है जिसमे कम और छोटे कट का उपयोग किया जाता| इस वजह से आपको अस्पताल में सिर्फ 2-3 दिन ठहरना होगा|
सर्जरी के बाद आपको भूखे रहने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि आपके खाने की इच्छा खुद धीरे-धीरे कम होने लगेगी|
क्या सर्जरी के बाद मोटापा वापिस आ सकता?
हालांकि सर्जरी का प्रभाव लंबे समय तक रहता है, लेकिन सावधानियां न बरतने पर आपका वज़न फिर से बढ़ने लग सकता है| सर्जरी आपके खाने की इच्छा को कम कर सकता है, लेकिन अपने आहार पर शासन बनाए रखना आपकी ज़िम्मेदारी है|
अगर आप अपने डॉक्टर और dietician के सलाह से अपने सेहत और आहार पर संतुलन बनाए रखें तो आप पहले 6 महीनों में तेज़ी से अपना वज़न कम होता हुआ महसूस करेंगे| 6 महीने के बाद वज़न घटना कम या धीमा हो जाता है, और 2 साल के अंदर रुक जाता है|
डॉ. बजाज के साथ विचार-विमर्श करने के बाद रश्मि को उनके बातों से हौसला मिला| रश्मि ने अपने चिंताओं को एक तरफ रखते हुए gastric bypass सर्जरी करवाने का निर्णय लिया|
“जब आहार पर निगरानी रखने पर और नियमित तौर से व्यायाम करने पर भी मेरे सेहत पर कुछ फ़र्क नहीं पढ़ा, तब मुझे महसूस हुआ सर्जरी ही उचित उपाय है| में नहीं चाहती थी की मेरे सेहत पर और कोई विपरीत प्रभाव पढ़े,” रश्मि ने अपने सर्जरी के बाद कहा|
कुछ ही दिनों में रश्मि अपनी रोज़ की ज़िंदगी फिर से सामान्य रूप से जीने लग गईं| जब वह कुछ महीनों बाद follow-up चेक उप के लिए फिर सीताराम भरतिया आईं, तो उनका वज़न भी पहले से कम हो गया था और वह दिखने पर भी स्वस्थ लग रहीं थी| रश्मि का कोलेस्ट्रॉल और ब्लड-शुगर लेवल भी नियंत्रण में आ गए थें और वह सर्जरी करवाने के फैसले से काफ़ी खुश थीं|
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