अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis in hindi) आंत की बीमारी है जिसमें बड़ी आंत में लम्बे समय के लिए सूजन और जलन हो जाती है | इस जलन और सूजन की वजह से बड़ी आंत के मलाशय (colon) और मलनाली (rectum) में छाले हो जाते है |
विवेका त्रिपाठी (34) को पिछले कई महीनों से भीषण पेट दर्द हो रहा था लेकिन उन्होनें उसको हमेशा नज़रअंदाज़ किया यह सोच कर की यह बार-बार बाहर खाने की वजह से हो रहा है | वह हर बार दवाई खा लेती जिससे उनको तुरंत आराम मिल जाता परन्तु उन्होनें कभी उस पेट दर्द की वजह जानने की कोशिश नहीं करी |
एक दिन जब विवेका को दस्त हो गए जिसमें उन्होनें खून और पस भी निकलता हुआ देखा, तब उनको एहसास हुआ की मामला गंभीर हो गया है | बिना देरी करे वह डॉ. निवेदिता पांडे, सीताराम भरतिया की गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट, के पास जांच कराने गई |
Diagnosis of Ulcerative Colitis (in hindi) – रोग की पहचान
डॉ. निवेदिता ने विवेका के लक्षणों को ध्यान से सुना और उनकी मेडिकल हिस्ट्री देखी जिससे उन्हें शक हुआ कि विवेका को अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) हो सकता है |
इस शक को पक्का करने के लिए डॉक्टर ने विवेका को कुछ ब्लड टेस्ट्स कराने को कहा | साथ ही साथ उनको अपने मल की जांच कराने को भी कहाँ |
विवेका के मल में सफ़ेद रक्त कोशिकाएँ (white blood cells) पाई गई जिससे डॉक्टर का शक गहरा हो गया | उन्होनें विवेका की कोलोनोस्कोपी करने का फैसला किया |
डॉ. निवेदिता ने विवेका को समझाया “कोलोनोस्कोपी से हम आपकी बड़ी आंत को अच्छे से देख पाएंगे और यह पता लगा पाएंगे कि आखिर कहा है परेशानी” |
कोलोनोस्कोपी से पता चला कि विवेका को आंत की बीमारी यानि अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) है |
क्योंकि विवेका ने इस बीमारी के बारे में पहली बार सुना था, उन्होनें डॉक्टर से कहा – “colitis bimari ke bare me bataye”
क्या है अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi)?
“अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) बड़ी आंत की एक क्रोनिक बीमारी है | इसमें बड़ी आंत की अंदरूनी परत में सूजन और जलन हो जाती है जिससे कई छोटे-छोटे छाले बनने लगते है | उन छालों और सूजन के कारण पेट-संबंधी परेशानियाँ होने लगती है” डॉ. निवेदिता ने कहाँ |
“यह बीमारी आपके पाचन तंत्र पर बुरा असर डालती है और सही समय पर इलाज न कराने पर खतरे का कारण भी बन सकती है |”
यह सुनकर विवेका को पछतावा हुआ कि उन्होनें कई महीनों तक अपने लक्षणों को नज़रअंदाज़ किया जिससे उनकी बीमारी गंभीर होती चली गई |
इस बीमारी में यह होता है कि शरीर का प्रतिरक्षी तंत्र (immune system) असाधारण रूप से काम करने लगता है | बाहरी कीटाणुओं की बजाय वह बड़ी आंत के ऊपर ही आक्रमण करने लगता है जिससे बड़ी आंत में सूजन और जलन हो जाती है |
क्या है अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) के लक्षण ?
अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) के लक्षण अक्सर अचानक से प्रकट होने के बजाए समय के साथ-साथ दिखाई देते है | ये लक्षण बीमारी की गंभीरता के अनुसार बदल सकते है |
इस बीमारी के कुछ लक्षण है –
- दस्त जिसमें खून और पस भी हो
- पेट में दर्द और मरोड़ का एहसास
- मल में खून पाया जाना (blood in stool)
- मलाशय में दर्द (rectal pain)
- तुरंत मलोत्सर्ग करने की इच्छा (sudden urge to defecate)
- मलोत्सर्ग करने की इच्छा के बावजूद न कर पाना (inability to defecate despite urgency)
- वज़न का घटना, थकावट होना या बुखार आना
- मुँह में छाले होना
- बच्चों के बढ़ने में दिक्कतें आना (growth delays)
“ध्यान देने वाली बात यह है कि अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण आते जाते रहते है | एक बार लक्षणों से जूझने के बाद लम्बे समय का अंतराल आजाता है (remission period) जिसमें मरीज़ को कोई भी लक्षण नहीं होता | यह अंतराल कुछ महीनों का या सालों का भी हो सकता है परन्तु ये लक्षण वापस ज़रूर आते है” डॉ. निवेदिता ने कहाँ |
यह सुनकर विवेका को समझ आया कि क्यों पेट दर्द होने के बाद वह तुरंत ठीक हो गई थी लेकिन कुछ महीनों पष्चात उनकी हालत वापस ख़राब हो गई | उन्होनें पुछा – “बड़ी आंत की सूजन का क्या कारण हो सकता है ?”
अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) होने के क्या कारण हो सकते है ?
अल्सरेटिव कोलाइटिस से जूझने वाले लोगों में मलाशय और मलनाली के कैंसर (colorectal cancer) होने के चान्सेस बड़ जाते है | इस तरह के कैंसर होने की संभावना निर्भर करती है इस बात पर कि आपको कबसे यह बीमारी है और आपके मलनाली पर कितने हद्द तक उसका असर हुआ है |
डॉ. निवेदिता ने कहाँ – “आम तौर पर कोलोरेक्टल कैंसर होने की संभावना उन लोगों में ज़्यादा होती है जिनको काफ़ी लम्बे समय से अल्सरेटिव कोलाइटिस है | इसीलिए हम अक्सर उन लोगों को कोलोनोस्कोपी कराने का सुझाव देते है जिन्हें लगभग आठ से लेकर बारह साल तक यह बीमारी है | कोलोनोस्कोपी से हमे पता चलता है कि आपके मलनाली में कैंसर युक्त कोशिकाएँ है कि नहीं |”
“अगर टेस्ट का परिणाम नार्मल आता है तो हम अपने मरीज़ों को हर साल यह टेस्ट कराने का सुझाव देते है ताकि समय पर इस कैंसर की पहचान हो सके और इलाज कराया जा सके |”
कैसे करें अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) का इलाज ?
हालांकि इस बीमारी का कोई एक इलाज नहीं है, मेडिकल सहायता से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है और जीवन-शैली को बेहतर किया जा सकता है |
“अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) के इलाज का मुख्य उद्देश्य है लम्बे समय के लिए लक्षणों से छुटकारा पाना | यह ज़्यादातर दवाइयों से किया जा सकता है, परन्तु अगर आपकी हालत ज़्यादा गंभीर हो जाती है तो सर्जरी भी एक रास्ता है |”
कई प्रकार की दवाइयों द्वारा लक्षणों से राहत पाया जा सकता है |
प्रज्वलनरोधी दवाइयाँ (Anti-inflammatory medicines)
यह दवाइयाँ बड़ी आंत की सूजन को कम करने का सबसे पहला उपाय है | इनमें से कुछ है कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स (corticosteroids) जिनको मुँह से या मलाशय में सपोसिटरी के द्वारा लिया जा सकता है |
प्रतिरक्षी तंत्र के प्रभाव को कम करने की दवाइयाँ (Immunity system suppressors)
यह दवाइयाँ प्रतिरक्षी तंत्र के प्रभाव को कम करके आंत की सूजन को घटाने में मदद करती है |
इन दवाइयों के साथ साथ आपको कुछ विशेष लक्षणों को मैनेज करने के लिए दूसरी दवाइयों की भी ज़रूरत पड़ सकती है | इनमें से कुछ है – एंटीबायोटिक्स, दस्त की दवाई और दर्द से राहत पाने की गोली |
सर्जरी
कई मामलों में सर्जरी करने से आंत की सूजन को खत्म किया जा सकता है | “इस क्रिया में पूरी आंत और मलाशय को ही निकाल दिया जाता है और आपकी छोटी आंत के अंतिम हिस्से से एक छोटा सा थैली बना दिया जाता है | इस थैली के द्वारा आप बिना मलाशय के मलोत्सर्ग कर पाते है|”
डॉ. निवेदिता ने विवेक को कुछ प्रज्वलनरोधी गोलियाँ लिख कर दी ताकि उसके आंत की सूजन कम होजाए | उन्होंने विवेका को कुछ Immunity system suppressors भी लेने को कहाँ ताकि उनको लम्बे समय तक इन लक्षणों से राहत मिल सके |
डॉक्टर ने विवेका को एक हफ्ते बाद फिर जांच के लिए आने को कहाँ |
जाते जाते विवेका ने पुछा – “ulcerative colitis me kya khana chahiye ?”
अल्सरेटिव कोलाइटिस से राहत पाने के लिए कुछ आसान उपाय
इस बीमारी से जूझना कभी-कभी मुश्किल लग सकता है परन्तु जीवनशैली में कुछ आसान से बदलाव लाकर एक स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है |
हालांकि यह साबित नहीं हुआ है कि खान-पान से यह बीमारी होती है, कुछ खाद्य पदार्थ इसके लक्षणों को बड़ा सकती है |
डॉ. निवेदिता ने विवेका को अपने खानपान के रूटीन पर ध्यान रखने को कहाँ ताकि वह उन चीज़ों से परहेज़ कर सके जिससे उनके लक्षणों पर बुरा असर पड़ रहा है |
अल्सरेटिव कोलाइटिस से जूझने के कुछ सुझाव –
- दूध के पदार्थ कम खाएँ – दूध से बने हुए खाद्य पदार्थों से परहेज़ करने से पेट दर्द और गैस से काफी राहत मिलती है |
- छोटे-छोटे भोजन खाएँ – पूरे दिन में 5 से 6 छोटे-छोटे भोजन करने से इस बीमारी से राहत मिलती है |
- ज़्यादा पानी पिए – इस बीमारी में पानी पीना सबसे अच्छा होता है | यह दस्त के समय भी मदद करता है |
- कम तनाव लें – हालांकि तनाव आंत में सूजन का कारण नहीं है, लेकिन ज़्यादा तनाव लेने से हालत गंभीर हो सकते है |
इन सब बातचीत के बीच एक चीज़ जो विवाहित विवेका को खाई जा रही थी वह थी – “इस बीमारी के चलते क्या मैं कभी माँ बन पाऊँगी?”
अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) और प्रेगनेंसी
ज़्यादातर किस्सों में अल्सरेटिव कोलाइटिस होने के बावजूद महिला माँ बन सकती है | परन्तु इस बीमारी के चलते अगर आप बच्चे की प्लैनिंग कर रहीं हो तो उसके पहले अपने डॉक्टर से मशवरा ज़रूर कर लें | डॉक्टर की मदद से आप गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान अपना पूर्ण रूप से सही ख्याल रख पाएँगी |
डॉ. निवेदिता ने विवेका से कहाँ – “यह बेहद्द ज़रूरी है की गर्भावस्था के दौरान अल्सरेटिव कोलाइटिस को अच्छे से मैनेज किया जाए | माँ बनने की कोशिश शुरू करने से पहले मेरे साथ चर्चा ज़रूर कर लें |”
अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) से पक्की राहत पाना भले ही मुमकिन ना हो परन्तु सही इलाज एक स्वस्थ जीवन जीने में सहायता कर सकता है |
हमारे हॉस्पिटल आएं और अपने इलाज के लिए डॉक्टर से मिलें। निचे दिए गए बटन पर क्लिक कर के व्हाट्सप्प करें ।