जब 18 साल की याशिका को लगातार चार महीनों तक माहवारी नहीं हुई तब उसकी माँ नीलम चड्डा काफ़ी चिंतित हो गई | वह यह जानती थी की माहवारी न होना ठीक नहीं है और इसको टालना भी गलत होगा | तभी बिना और देरी करे नीलम अपनी बेटी याशिका के साथ सीताराम भरतिया की अनुभवी Obstetrician – Gynecologist डॉ. प्रीति अरोरा धमीजा के पास आई |
“प्यूबर्टी होने से पहले, प्रेगनेंसी के दौरान और मीनोपॉज होने पर माहवारी न होना स्वाभाविक है परन्तु इन तीनों परिस्तिथियों के अलावा अगर माहवारी न हो तो यह परेशानी का संकेत भी हो सकती है” डॉ. प्रीति ने कहाँ |
माहवारी न होना मेडिकल भाषा में एमेनोरीआ (amenorrhea) कहलाता है | यह एक आम परेशानी है जो कई महिलाओं को हो जाती है |
“अगर आपको कम से कम तीन महीनों तक लगातार माहवारी न हुई हो या फिर आपकी प्यूबर्टी शुरू होगई है परन्तु फिर भी आपको करीबन 15 वर्ष के उम्र तक महावरी न हुई हो तो बेहतर है की आप किसी अच्छे गयनेकोलॉजिस्ट से जांच कराएं” ऐसा कहना था डॉ. प्रीति का |
यह सुनकर नीलम और याशिका ने चैन की सांस ली कि उन्होंने स्तिथि के बिगड़ने से पहले ही डॉक्टर से मदद लेने का फैसला किया |
याशिका को पहली माहवारी 12 साल की उम्र में हो गई थी लेकिन उन दोनों को यह नहीं पता था की 15 साल की उम्र तक माहवारी न होना भी एक गंभीर समस्या है |
माहवारी न होना – एमेनोरीआ के दो प्रकार
डॉ. प्रीति ने समझाते हुए कहाँ – “माहवारी न होना या एमेनोरीआ दो प्रकार के होते है – प्राइमरी एमेनोरीआ और सेकेंडरी एमेनोरीआ |”
“जब किसी को 15 या 16 की उम्र तक भी माहवारी नहीं होती जबकि उसकी प्यूबर्टी की शुरआत हो चुकी होती है, तब उसको प्राइमरी एमेनोरीआ कहते है | और जब नियमित रूप से आने वाली माहवारी अचानक से आना बंद कर देती है, तब उसको सेकेंडरी एमेनोरीआ कहते है |”
यह सुनकर नीलम ने अंदाज़ा लगा लिया की उनकी बेटी को सेकेंडरी एमेनोरीआ हो रही थी | जिज्ञासु होकर उन्होंने पुछा – “क्या माहवारी न होना एमेनोरीआ का एक मात्र लक्षण है?”
क्या है एमेनोरीआ के लक्षण ?
माहवारी न होना एमेनोरीआ का मुख्य लक्षण है परन्तु कुछ महिलाएं कुछ और लक्षणों का सामना भी कर सकती है | यह सब इसके होने के कारण पर निर्भर करता है |
माहवारी न होने के साथ-साथ आप नीचे दिए गए लक्षणों का भी सामना कर सकते है –
- स्तन से दूध सा स्राव निकलना
- बालों का झड़ना
- ठीक से दिखाई न देना
- चेहरे और शरीर पर अधिक मात्रा में बाल आना
- श्रोणि में दर्द होना
- अत्यधिक मुँहासे होना
नीलम ने देखा की ऊपर दिए गए लक्षणों में से याशिका को कोई भी लक्षण नहीं था | उन्होंने यह बात डॉ. प्रीति को बताई और पुछा – “याशिका के माहवारी न होने का क्या कारण हो सकता है?”
Periods na hone ki waja – क्या है माहवारी नहीं आने के कारण ?
मासिक धर्म में देरी या बिलकुल भी माहवारी न होने के कई कारण हो सकते है लेकिन यह एमेनोरीआ के प्रकार पर भी निर्भर करता है |
प्राइमरी एमेनोरीआ
प्राइमरी एमेनोरीआ मतलब माहवारी की शुरआत न हो पाना | यह अक्सर chromosomes में असामान्यताओं के कारण हो सकता है जिससे अंडाशयों के कार्य करने की क्षमता में कमी आ जाती है |
इसके दुसरे मुमकिन कारण है –
- अंडाशयों का विफल हो जाना (ovarian failure)
- अस्वस्थ प्रजननीय अंग (poorly formed reproductive organs)
- ओव्यूलेशन में अनियमितता
- शारीरिक विषमता होना (anatomical abnormality)
- थाइरोइड की बीमारी
डॉ. प्रीति ने कहाँ – “कम उम्र की लड़कियों में प्राइमरी का अक्सर कारण होता है खान-पान में गड़बड़ी (eating disorders)| इसे हम एनोरेक्सिया (anorexia) कहते है | इस बीमारी में लड़कियाँ खाना एक दम कम कर देती है या लगभग छोड़ देती है ताकि वो एक विशेष वज़न पा सके | इसकी वजह से शरीर को सही मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता जिसकी वजह से उनकी प्रजनन प्रणाली ऊर्जा बचने के लिए बंद हो जाती है | इसीलिए माहवारी होना भी बंद हो जाता है |”
सेकेंडरी एमेनोरीआ
माहवारी न होने के स्वाभाविक कारण है –
- गर्भवती होना
- स्तनपान करना
- मीनोपॉज हो जाना
प्रेगनेंसी के कारण माहवारी न होना
युवा महिलाओं में माहवारी न होने का सबसे स्वाभाविक कारण है प्रेगनेंसी |
“हर मासिक चक्र में दोनों अंडाशयों में से एक अंडा बनाता है (ओव्यूलेशन) जो गर्भाशय नाल के द्वारा गर्भाशय की ओर जाता है इस उम्मीद में कि वह नर शुक्राणु से मिल कर गर्भाधान करेगा | इस समय में गर्भाशय की अंदरूनी परत रक्त और म्यूकस से मोटी हो जाती है ताकि गर्भाधान वाला अंडा (fertilised egg) उस परत से जुड़ जाए |”
परन्तु यदि गर्भधान न होए तो वह अंडा गर्भाशय की परत के साथ झाड़ जाता है और रक्त के रूप में योनि द्वारा शरीर से बाहर निकल आता है | इसे हम माहवारी कहते है |
अगर गर्भधारण होजाए तो यह क्रिया फिर नहीं होती | इसीलिए प्रेगनेंसी के वक़्त पूरे नौ महीनों के लिए माहवारी रुक जाती है |
“इन तीन कारणों के अलावा मासिक धर्म का अचानक से बंद हो जाना चिंता का कारण हो सकता है |”
सेकेंडरी एमेनोरीआ के कुछ कारण है –
- गर्भनिरोधक गोलियाँ लेना – कुछ महिलाएँ जो गर्भनिरोधक गोलियाँ ले रहीं है उनके मासिक धर्म में बदलाव होना स्वाभाविक है | क्योंकि ये गोलियाँ सीधा ओव्यूलेशन पर असर डालती है, यह कभी कभार माहवारी भी बंद कर सकती है | “गर्भनिरोधक गोलियाँ लम्बे समय तक लेकर बंद करने पर भी कई बार माहवारी रुक सकती है | लेकिन ओव्यूलेशन के वापस से नियमित हो जाने पर माहवारी दुबारा शुरू भी हो जाती है |” डॉ. प्रीति ने समझाया|
- किसी प्रकार की दवाईयाँ लेना – कुछ दवाइयाँ रोज़ लेने से भी माहवारी रुक सकती है | यह दवाइयाँ है – हताशारोधी (antidepressants), कीमोथेरेपी, रक्त-चाप की गोलियाँ, एलर्जी की दवाइयाँ |
क्योंकि याशिका इनमें से कोई भी गोलियाँ नहीं ले रही थी, नीलम ने डॉ. प्रीति से माहवारी न होने के दूसरे कारणों के बारे में पुछा |
सेकेंडरी एमेनोरीआ के अन्य कारण है –
- PCOD
- अधिक से ज़्यादा तनाव लेना
- पोषण में कमी होना
- मोटापा होना (obesity)
- डिप्रेशन
- अत्यधिक व्यायाम करना
- गर्भाशय में घाव होना (uterine scarring)
Diagnosis – रोग की पहचान
डॉ. प्रीति ने याशिका को थाइरोइड फंक्शन टेस्ट, ओवरी फंक्शन टेस्ट, नर हॉर्मोन टेस्ट और एक अल्ट्रासाउंड करने को कहाँ | क्योंकि याशिका यौन रूप से सक्रीय नहीं थी, उसको प्रेगनेंसी टेस्ट कराने की ज़रूरत नहीं पड़ी |
साथ ही साथ डॉक्टर ने याशिका के श्रोणि की भी जांच करी ताकि पता चले कि उसके जननीय अंग स्वस्थ है या नहीं |
परन्तु याशिका और उसकी माँ से गहराई में पूछताछ करने पर पता चला की असली परेशानी कहाँ है – याशिका नेशनल लेवल बास्केटबॉल की खिलाड़ी थी जिसकी वजह से उसको रोज़ अत्यंत व्यायाम करना पड़ता था | कुछ महीनों से उसने अपने खानपान पर भी कई रोक टोक लगाई हुई थी |
“अत्याधिक व्यायाम करने से और कम खाना खाने से याशिका के शरीर में पोषण की भीषण कमी हो गई है जिसकी वजह से उसके शरीर ने ऊर्जा बचाने के लिए मेटाबोलिज्म को धीमा कर दिया है | उसकी प्रजनन प्रणाली भी इसी कारण बंद हो गई जिससे उसकी माहवारी पर असर पड़ा” डॉ. प्रीति ने नीलम और उनकी बेटी को समझाया |
माहवारी बंद होने का इलाज क्या है ?
माहवारी न होना कई चीज़ों से ठीक किया जा सकता है लेकिन यह उसके होने के कारण के मुताबिक हर किसी के लिए अलग है |
जैसे की थाइरोइड की बीमारी से होने वाली एमेनोरीआ को हम दवाइयों से ठीक कर सकते है | कुछ मामलों में हॉर्मोन थेरेपी करने से मासिक धर्म में सुधर लाया जा सकता है |
याशिका के एमेनोरीआ ka कारण था उसका अत्याधिक व्यायाम करना और ढंग से पौष्टिक खाना न खाना | इसको ठीक करने के लिए ज़रूरी था कि वह अपने जीवनशैली में कुछ आसान से बदलाव करें जिससे उसके शरीर को सही मात्रा में पोषण मिल पाए |
डॉ. प्रीति ने उसको व्यायाम की मात्रा एकदम कम करने को कहाँ और उसको एक स्वस्थ संतुलित डाइट अपनाने को कहाँ | “ध्यान रहे की वह दिन में केवल एक घंटा व्यायाम करे | उससे ज़्यादा अपने शरीर से परिश्रम ना करवाए | भूख लगने पर वह सिर्फ स्वस्थ आहार खाए, मांस-मच्छी- अंडे का सेवन करे और जंक खाने से दूर रहे |”
डॉ. प्रीति ने याशिका को अपने मासिक चक्र पर ध्यान देने को भी कहा |
डॉक्टर की बात मान कर याशिका ने अपने ट्रेनिंग के समय को कम कर दिया और रोज़ एक ताज़ी फल-सब्ज़ियों भरा आहार खाना शुरू करा | सौभाग्यवश अगले ही महीने उसको माहवारी हो गई|
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यह लेख डॉ. प्रीति अरोरा धमीजा के सहायता से लिखा गया है। डॉ. प्रीति जानी-मानी स्त्री रोग विशेषयज्ञ है जो अपने आशावादी स्वाभाव के लिए जानी जाती है।
Medically Reviewed by Dr. Priti Arora Dhamija
MBBS, Maulana Azad Medical College, Delhi (1999); M.D, Lady Hardinge Medical College (2004); DNB Obstetrics & Gynecology (2004); Diploma in Pelvic Endoscopy, Kiel, Germany (2014)
Experience: 17 years
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