श्रोणि (pelvic) के अंगों का प्रोलैप्स (prolapse meaning in hindi) एक ऐसी बीमारी है जो मानव-जाति के शुरुआत से चली आ रही है | जबसे मनुष्य ने सीधा चलना सीखा है तबसे ग्रैविटी के कारण महिलाओं में प्रोलैप्स पाया गया है | यहाँ तक की प्रोलैप्स का ज़िक्र प्राचीन काल के मेडिकल साहित्य में भी किया गया है जिनमें से सबसे पुरानी है मिस्र रचना |
लगभग 10 प्रतिशत युवा महिलाओं को और 50 प्रतिशत मध्य आयु की महिलाओं को प्रोलैप्स (prolapse meaning in hindi) से जूझना पड़ सकता है | ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके बावजूद ज़्यादातर महिलाओं को इस बीमारी के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं होती | इसीलिए यह ज़रूरी है कि हम इस बीमारी को करीब से जाने और समझे |
प्रोलैप्स (prolapse meaning in hindi) श्रोणि में होने वाली एक परेशानी (pelvic floor disorder) है |
परन्तु यह होता क्या है ?
डॉ पञ्चमप्रीत कौर , सीताराम भरतिया की एक जानीमानी obstetrician – gynecologist का कहना हैं – “महिला के श्रोणि में यह सारे अंग पाए जाते है – गर्भाशय, मूत्राशय, मलाशय और योनी | ये सभी अंग श्रोणि की मांसपेशियों और स्नायुबंधन द्वारा अपनी-अपनी जगहों पर डटे रहते हैं | इन अंगों को श्रोणि के तल (pelvic floor) से भी काफ़ी सहारा मिलता हैं जिससे वे हिलते नहीं हैं | लेकिन जब ये मांसपेशियाँ और स्नायुबंधन खिच जाते हैं या फट जाते हैं तब वे श्रोणि के अंगों को पहले जैसा सहारा नहीं दे पाते | इसके कारण वे अंग नीचे गिरने लगते हैं |”
“श्रोणि की मांसपेशियाँ और स्नायुबंधन (ligaments) औरत के बच्चेदानी को सहारा देते हैं ताकि वे अपनी जगह पर बने रहें | परन्तु जब यह मांसपेशियाँ कमज़ोर हो जाती हैं तब इन अंगों को सहारा नहीं मिल पाता और वे नीचे उतरने लगते हैं | कभी-कभार ये अंग योनी से बाहर की तरफ निकल आते हैं |”
प्रोलैप्स एक जानलेवा बीमारी नहीं है परन्तु रोज़मर्रा के जीवन और रहन – सहन पर बहुत प्रभाव डालती है|
प्रोलैप्स (prolapse meaning in hindi) किन कारणों से हो सकता है ?
कुछ कारणों की वजह से महिलाओं में प्रोलैप्स की संभावना बढ़ सकती है | वे कारण हैं –
- बुढ़ापा और मीनोपॉज – जैसे – जैसे महिलाएं मीनोपॉज में प्रवेश करती हैं वैसे-वैसे शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन की मात्रा कम होती जाती है | क्योंकि यह हॉर्मोन श्रोणि की मांसपेशियों को मज़बूत बनाती है, इसके घटने से प्रोलैप्स होने की संभावना बढ़ जाती है |
- गर्भावस्था और प्रसव – कभी-कभी गर्भावस्था और प्रसव औरत के श्रोणि पर असर डालता है | गर्भावस्था में श्रोणि की मांसपेशियाँ खिच सकती है जिससे वे अंगों को आवश्यक सहारा नहीं दे पाती है |
- मोटापा – मोटापे के बढ़ने से शरीर भारी होता जाता है जिसके कारण पेट श्रोणि के अंगों पर ज़्यादा दबाव डालने लगता है और उन्हें नीचे की तरफ़ ले जाता है | इससे किसी को भी प्रोलैप्स का सामना करना पड़ सकता है |
- लम्बे समय से चलने वाली कॉन्स्टिपेशन या कब्ज – कब्ज के होने से महिलाओं को मलोत्सर्ग (defecation) करने के लिए ज़्यादा दबाव डालना पड़ता है | लम्बे समय के लिए यह करने पर श्रोणि की मांसपेशियाँ कमज़ोर हो सकती है जिससे प्रोलैप्स की संभावना बढ़ जाती है |
- लम्बे समय से चलने वाली कॉन्स्टिपेशन या कब्ज – कब्ज के होने से महिलाओं को मलोत्सर्ग (defecation) करने के लिए ज़्यादा दबाव डालना पड़ता हैं | लम्बे समय के लिए यह करने पर श्रोणि की मांसपेशियाँ कमज़ोर हो सकती हैं जिससे प्रोलैप्स की संभावना बढ़ जाती है |
और पढ़ें – लम्बे समय से चलने वाली कॉन्स्टिपेशन से पाइल्स (Piles) की समस्या
- लम्बी खांसी – कब्ज की तरह लम्बे समय तक खांसने से भी श्रोणि के मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है जिससे वे कमज़ोर हो जाते हैं |
क्या है प्रोलैप्स (prolapse meaning in hindi) होने के लक्षण ?
प्रोलैप्स होने के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि उसका प्रकार क्या है और वह अंग कितने हद्द तक योनी से निकल रहा है |
निम्नलिखित हैं कुछ लक्षण जो प्रोलैप्स होने पर आपको महसूस हो सकते है –
- पेट के निचले हिस्से और योनी पर किसी चीज़ का भारी दबाव महसूस होना
- योनी से कुछ उभर कर बाहर निकलना
- यौन संबंध के वक़्त परेशानी होना
- पूरी तरह से मूत्राशय को खाली न कर पाना
- बार-बार पेशाब आना
- मूत्रविसर्जन (urination) या मलोत्सर्ग (defecation) करने में दिक्कतें आना
- हँसने पर, खाँसने पर या छींकने पर हल्का सा पेशाब का निकल जाना
क्योंकि अब हम प्रोलैप्स को पहचान सकते है, आइए जानते है की इसकी जांच कैसे की जाती है |
कैसे की जाती है प्रोलैप्स (prolapse meaning in hindi) की जांच?
डॉ पञ्चमप्रीत का कहना हैं – “प्रोलैप्स से जूझने वाली महिलाएँ अक्सर यह शिकायत लेकर आती हैं कि उन्हें योनी में कुछ भारी सा महसूस होता है या फिर उनके योनी से कुछ उभर कर बाहर आ रहा है | इसके पश्चात हम श्रोणि की जांच करते हैं ताकि यह पता चल सके की कोई अंग योनी से बाहर आ रहा है कि नहीं |”
“मरीज़ की मेडिकल हिस्ट्री का भी अच्छे से विश्लेषण किया जाता है |”
प्रोलैप्स (prolapse meaning in hindi) के कौनसे प्रकार होते है ?
(i) प्रोलैप्स कभी-कभार गर्भाशय-ग्रीवा से बहार निकलता हुआ दिखाई देता है | यह गर्भाशय का एक हिस्सा या पूरा गर्भाशय भी हो सकता है जो योनी से बाहर निकल रहा है | यह तब होता है जब श्रोणि की मांसपेशियाँ कमज़ोर हो जाती है और गर्भाशय को सहारा नहीं दे पाती हैं |
“इसको प्रोलैप्स्ड गर्भाशय (prolapsed uterus) कहा जाता है | मीनोपॉज से गुज़र रहीं महिलाओं में यह प्रकार ज़्यादा पाया जाता है, ख़ास तौर पर अगर वह एक से ज़्यादा बार माँ बन चुकी हो |”
(ii) अक्सर मूत्राशय या ब्लैडर गर्भाशय के साथ उभरने लगता है | यह तब होता है जब ब्लैडर और योनी के बीच की फैशिया (fascia) कमज़ोर हो जाती है और ब्लैडर योनी की ओर गिरने लगता है|
“जब ब्लैडर सिर्फ कुछ हद तक योनी से बहार निकलता है तब महिला को सिर्फ हल्के लक्षण दिखाई देते है | परन्तु जब पूरा ब्लैडर योनी से बाहर उभरने लगता है तब गंभीर समस्याएँ पैदा हो सकती हैं जैसे कि पेशाब रुक जाना या हाथ से ब्लैडर को योनी के अंदर कर के ही पेशाब कर पाना|”
(iii) जब योनी का पिछला हिस्सा कमज़ोर हो जाता है तब मलाशय (rectum), जो की बड़ी आंत का आखरी हिस्सा होता है, वह अपनी सामान्य जगह से हटके योनी से उभरने लगता है | इसको रेक्टल प्रोलैप्स कहते है |
“इस प्रकार का प्रोलैप्स बुज़ुर्ग महिलाओं में ज़्यादा पाया जाता है, ख़ास तौर पर वे महिलाएँ जिनको कब्ज या खांसी होती है |”
प्रोलैप्स के साधारण कारणों के अलावा कुछ हालात ऐसे है जिनमें प्रोलैप्स की संभावना बड़ जाती है | यह है – डायबिटीज, COPD, सिस्टिक फाइब्रोसिस और हिस्टरेक्टमी |
प्रोलैप्स (prolapse meaning in hindi) का इलाज कैसे किया जाता है ?
प्रोलैप्स को मैनेज करने की कई उपाय है परन्तु यह उसके प्रकार और उसके हद पर निर्भर करता है |
प्रोलैप्स के मंद लक्षणों को किसी मेडिकल ट्रीटमेंट की ज़रूरत नहीं पड़ती है | ये अक्सर जीवनशैली में कुछ आसान से बदलाव करके ठीक किए जा सकते है जैसे की –
- रोज़ पेल्विक फ्लोर व्यायाम करना – पेल्विक फ्लोर व्यायाम या केगेल व्यायाम (kegel exercises) श्रोणि की मांसपेशियों को मज़बूत करने में सहायता करती है अगर ये रोज़ की जाए |
- कब्ज न होने देना या उसका इलाज करना – क्योंकि कब्ज़ होने पर श्रोणि के मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है, इसका इलाज करने से ना सिर्फ़ प्रोलैप्स को मैनेज किया जा सकता है परन्तु प्रोलैप्स से बचा भी जा सकता है |
- वज़न घटाना
- धुम्रपान न करना
- रोज़मर्रा में अत्यधिक वज़न वाली चीज़ें न उठाना
मीनोपॉज से गुज़र रही महिलाओं को अक्सर एस्ट्रोजन ट्रीटमेंट का सुझाव भी दिया जाता है ताकि उनके शरीर मे इस हॉर्मोन की मात्रा बढ़ जाए | “एस्ट्रोजन या तो टेबलेट के तौर पर या क्रीम के द्वारा दिया जा सकता है” डॉ पञ्चमप्रीत कहती है |
इलाज के अन्य उपाय
योनी के पस्सरीज़ – यह रबर या सिलिकॉन से बना हुआ उपकरण होता है जो योनी में डाला जाता है | यह उपकरण श्रोणि के अंगों को सहारा देता है और उन्हें जगह पर डेट रहने में मदद करता है |
सर्जरी
जब किसी महिला के लक्षण बहुत ज़्यादा गंभीर हो जाते है और नॉन-सर्जिकल उपाय उनको मैनेज करने में नाकामयाब हो जाते है, तब उन्हें सर्जरी का सुझाव दिया जाता है |
“सर्जरी में श्रोणि के अंगों को उनकी जगह पे सिलाई करके ऊपर उठा दिया जाता है और सहारा दिया जाता है | ब्लैडर के प्रोलैप्स में ब्लैडर को जगह पर रखने के लिए उसपर एक ख़ास प्रकार की टेप (transvaginal tape) लगाई जाती है |”
प्रोलैप्स (prolapse meaning in hindi) एक ऐसी परेशानी है जो किसी भी उम्र की महिला को हो सकती है परन्तु जीवनशैली में सही बदलाव करने पर न केवल इससे बचा जा सकता है अथवा ज़रूरत पड़ने पर इसका सही इलाज भी किया जा सकता है |
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Medically Reviewed by Dr. Namrita Gurpal Singh Sandhu
MBBS, Government Medical College & Hospital, Chandigarh, India (2005) DNB, National Board of Examinations (2012), MRCOG (Part One), Royal College of Obstetricians and Gynaecologists (2015), Diploma in Gynecological Laproscopy, Hysteroscopy and Urogynecology, Kiehls school, Germany (2019)
Experience: 10+ years