प्यूबर्टी (puberty meaning in hindi) या यौवन का आगमन एक बच्चे के बढ़ते जीवन का बहुत एहम पड़ाव होता है | यह समय कई शारीरिक और मानसिक बदलाव लेकर आता है जो किसी भी युवक या युवती को बेचैन कर सकता है | परन्तु सही मार्गदर्शन और भावात्मक सहायता इस समय से गुज़रने में काफ़ी मदद करता है |
सीताराम भरतिया की Obstetrics और Gynecology कंसलटेंट, डॉ. प्रीति अरोरा धमीजा का कहना है – “प्यूबर्टी (puberty meaning in hindi) एक प्राकृतिक क्रिया है जिसमें एक बच्चे का शरीर युवा पुरुष या महिला में परिवर्तित हो जाता है | परन्तु कई बच्चे इस क्रिया से बिलकुल अनजान होते है जिससे उन्हें उस समय होने वाले बदलावों को अपनाने में दिक्कत होती है |”
इसीलिए यह ज़रूरी है कि बच्चों को सही समय पर प्यूबर्टी (puberty meaning in hindi) में होने वाले परिवर्तन से अवगत कराया जाए ताकि वह सही तरह से उसे स्वीकार कर पाए | और इसमें माँ-बाप एक एहम भूमिका निभाते हैं |
तो आएं जानते है इस परिवर्तन के प्रक्रिया के बारे में और गहराई से –
प्यूबर्टी (puberty meaning in hindi) – क्या होता है इसका मतलब?
प्यूबर्टी (puberty meaning in hindi) एक प्रक्रिया हैं जिसमें एक बच्चे के प्रजननीय अंग पूर्ण रूप से विकसित हो जाते है और वह प्रजनन के काबिल हो जाते है |
“आसान शब्दों में कहा जाए तो प्यूबर्टी एक ऐसा पड़ाव है जिसमें एक बच्चे के शरीर में कुछ ऐसे बदलाव होते है जिससे वह एक युवा पुरुष या महिला में परिवर्तित हो जाता है”, ऐसा कहना है डॉ. प्रीति का |
परन्तु कौनसी उम्र प्यूबर्टी (puberty meaning in hindi) या यौवन के शुरू होने का सही समय है ?
डॉ. प्रीति का कहना है – “आम तौर पर लड़किओं में 11 साल की उम्र पे और लड़कों में 12 साल की उम्र पे प्यूबर्टी की शुरुआत हो जाती है | परन्तु ज़रूरी नहीं है कि सब बच्चों के लिए यह आयुवर्ग समान हो | अगर आपके बच्चे में प्यूबर्टी के लक्षण उनके सहपाठियों से पहले या बाद में नज़र आएं तो घबराईएगा नहीं | यह बहुत ही आम बात है | हर बच्चा अपने समय के अनुसार प्यूबर्टी के पड़ाव तक पहुँच ही जाता है |”
प्यूबर्टी की शुरुआत लगभग 8 से 14 साल की उम्र तक होती है | पर यह एक बार में नहीं आता | यौवन के कई पड़ाव होते है जो धीरे-धीरे शरीर में बदलाव लाते है | कुछ बदलाव जल्दी प्रकट होते है और कुछ बाद में |
प्यूबर्टी एक महत्वपूर्ण चरण है जिसमें शारीरिक बदलाव के साथ-साथ मानसिक प्रगति भी होती है | इसलिए बच्चों का इस दौरान भावात्मक होना एक आम बात है | आएं जानते है प्यूबर्टी के दौरान होने वाले कुछ बदलाओं के बारे में –
प्यूबर्टी (puberty meaning in hindi) में लड़कियों में होने वाले शारीरिक बदलाव
लड़कियों के लिए प्यूबर्टी का अनुभव लड़कों से काफ़ी अलग होता है | इस समय उनमें निम्नलिखित बदलाव होते है –
1. स्तन का विकसित होना – लड़कियों में प्यूबर्टी या यौवन के आगमन का पहला संकेत है स्तन का विकसित होना | “लगभग 9 से 10 साल के बीचमें लड़कियों में स्तन की कलियाँ आने लगती हैं | ऐसे समय में छाती का नाज़ुक और मुलायम होना एक आम बात है और इसमें चिंता की कोई बात नहीं है |” ऐसा भी हो सकता है कि एक स्तन दूसरे स्तन से बढ़ा लगने लगे परन्तु यह भी प्राकृतिक है |
2. नीजी अंगों और शरीर के बाकी हिस्सों पर बाल आना – प्यूबर्टी के सबसे पहले संकेतों में से एक है नीजी अंगों पर बाल आना | शुरूआती समय में जननांग में छोटे-छोटे बाल प्रकट होने लगते है | फिर धीरे-धीरे गुप्तांगों के ऊपरी हिस्सों पर भी बाल आने लगते है |
3. शरीर के आकार और रूप में बदलाव – प्यूबर्टी शुरू होने के लगभग एक साल बाद लड़कियों के शरीर के आकार में भी बदलाव आने लगता है | उनके ऊपरी बाज़ुओं, जंघा और ऊपरी पीठ पर ज़्यादा वसा जमने लगता है जिससे उनके शरीर को एक वयस्क महिला का आकार मिलने लगता है|
4. मासिक धर्म का शुरू होना – प्यूबर्टी के वक़्त लड़कियों में होने वाला सबसे बढ़ा बदलाव है मासिक धर्म की शुरुआत | “हर बढ़ती उम्र की लड़की को इस कुदरती प्रक्रिया की जानकारी होनी चाहिए ताकि समय आने पर वह मासिक धर्म होने पे घबरा न जाएं,” डॉ. प्रीति का कहना है |
क्या है मासिक धर्म का मतलब? (Menstruation Meaning in Hindi)
लड़कियों को मासिक धर्म तब होता है जब उनके प्रजननीय अंग पूरी तरह से विकसित हो जाते है | यह क्रिया गर्भधारण की क्रिया से जुडी होती है | |
प्यूबर्टी के समय लड़कियों में दो मादा होर्मोनेस – एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन बनने लगते है | यह होर्मोनेस गर्भाशय की परत (uterine lining) बनाते है जिससे गर्भ गर्भाधान (fertilized egg) के काबिल हो जाता है | यह परत म्यूकस से बना हुआ होता है |
गर्भाधान कैसे होता है ?
मासिक धर्म के शुरू होने का मतलब है अण्डाशय का विकसित होना | “इसका यह मतलब है कि अब एक लड़की के अण्डाशय अंडे बनाने के काबिल हो गए है | तबसे लेकर हर महीने दोनों में से एक अण्डाशय एक अंडा रिलीज़ करता है | यह अंडा अगर किसी मर्द धातु से मिल जाए तो वह गर्भाधान कहलाता है |
अब अगर गर्भाधान न हो तो गर्भाशय की परत टूट जाती है और खून के रूप में योनि से बहार आजाता है | इसी क्रिया को हम मासिक धर्म कहते है क्योंकि प्यूबर्टी आने पे यह क्रिया हर माह होती है |
प्यूबर्टी (puberty meaning in hindi) में लड़कों में होने वाले शारीरिक बदलाव
1. लड़कों में प्यूबर्टी का सबसे पहला संकेत होता है अंडकोष (testicles) का बढ़ना और अंडकोष की थैली (scrotum) का छोटा और लाल होना |
2. धीरे-धीरे लड़कों के शरीर और गुप्तांग में भी बाल आने लगते है |
3. जैसे-जैसे प्यूबर्टी या यौवन की प्रगति होने लगती है, लड़कों में नर हॉर्मोन टेस्टोस्टेरोन बनने लगता है और इसके बढ़ने से शरीर में कई बदलाव आते है जैसे की आवाज़ का भारी होजाना और दाढ़ी – मूछ का आना |
4. प्यूबर्टी के शुरू होने के कुछ समय बाद गुप्तांग और अंडकोष आकार में बढ़ने लगते है |
5. प्यूबर्टी के दौरान और एक चीज़ होने लगती है जिससे बच्चे अक्सर घबरा जाते है | यह है स्वप्रदोष (wet dreams) का होना | यह एक अनिच्छुक क्रिया है जिसपे किसी भी बढ़ते बच्चे का कोई ज़ोर नहीं होता | “रात को सोते समय धातु का अपसारण (semen ejaculation) स्वप्रदोष कहलाता है | यह किसी यौन सम्बन्धी सपने से नहीं होता | इसीलिए ज़रूरी है कि माँ-बाप अपने बढ़ते बच्चों को इस क्रिया के बारे में विस्तार से समझाएं और उनको सांत्वना दे |
6. अनिच्छुक गुप्तांग का खड़ापन (involuntary erections) और एक बदलाव है जो प्यूबर्टी में काफ़ि आम बात है | “अचानक-अचानक से गुप्तांग का खड़ा होना प्यूबर्टी का और एक संकेत होता है | इस क्रिया का यौन सम्बन्धी विचार रखने से कोई ताल्लुक नहीं होता |”
प्यूबर्टी (puberty meaning in hindi) किसी भी बच्चे के ज़िन्दगी का एक महत्वपूर्ण समय होता है जिसको बड़ी संवेदनशीलता से संभालना पढ़ता है और इसमें सबसे बड़ी भूमिका माँ-बाप की होती है |
डॉ. प्रीति कहती है – “जैसे जैसे आपका बच्चा प्यूबर्टी की ओर बढ़ने लगता है ज़रूरी है कि आप उनका सही मार्गदर्शन करें और उनको भावात्मक सहायता दे | उनकी एकान्तता की इज़्ज़त करें और उनको भरोसा दिलाएं कि वह बिलकुल स्वस्थ और सुन्दर है |”
क्या आपके मन में प्यूबर्टी से सम्बंधित सवाल हैं ? हमारे हॉस्पिटल आएं और अपने इलाज के लिए डॉ. प्रीति से मिलें। Appointment के लिए हमें +91 9871001458 कॉल करें।
यह लेख डॉ. प्रीति अरोरा धमीजा के सहायता से लिखा गया है। डॉ. प्रीति जानी-मानी स्त्री रोग विशेषयज्ञ है जो अपने आशावादी स्वाभाव के लिए जानी जाती है।
Medically Reviewed by Dr. Priti Arora Dhamija
MBBS, Maulana Azad Medical College, Delhi (1999); M.D, Lady Hardinge Medical College (2004); DNB Obstetrics & Gynecology (2004); Diploma in Pelvic Endoscopy, Kiel, Germany (2014)
Experience: 17 years
Liked this article? Follow us on Facebook, Twitter, Youtube and Instagram for more content!