नींद से संबंधित परेशानियों में सबसे पहले ज़िक्र होता है अनिद्रा (insomnia meaning in hindi) यानि नींद न आने के रोग का| अनिद्रा एक बहुत ही आम समस्या है जिससे हर कोई ज़िंदगी में कभी न कभी सामना करता है | परन्तु कुछ लोगों के लिए यह एक लम्बे समय के लिए पीछा नहीं छोड़ता |
ऋषि गुप्ता, 55, को कई महीनों से रात को सोने में दिक्कतें आती थी | न केवल उन्हें बिस्तर पर लेटने के पष्चात नींद आने में लगभग एक से देढ़ घंटे लग जाते थे परन्तु रात को कई बार वह उठ जाते थे जिसके कारण उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती थी |
“रात भर नींद पूरी न होने की वजह से पूरा दिन मुझे सुस्ती महसूस होती थी | मेरी पत्नी को भी मेरे बार-बार उठने से काफ़ी परेशानी होती थी” ऋषि ने अपनी स्तिथि समझाते हुए कहाँ |
शुरूआती कुछ दिनों तो उन्होंने इस पर ख़ास ध्यान नहीं दिया परन्तु नींद न पूरी होने पर धीरे-धीरे उनके काम पर भी असर पड़ने लगा | आखिरकार उनके बेटे ने उन्हें अनिद्रा की परेशानी के बारे में बताया और किसी डॉक्टर से जांच कराने की सलाह दी |
ऋषि ने डॉ. मयंक उप्पल, सीताराम भरतिया के Consultant, Internal Medicine, के पास जाने का फैसला किया | जांच के दौरान उन्होंने ऋषि से उनके लक्षणों के बारे में विस्तार से पूछा |
उनके लक्षणों और सोने की दिनचर्या को देख कर यह तो साफ़ था कि ऋषि क्रोनिक इंसोम्निया (insomnia meaning in hindi) यानि अनिद्रा की बीमारी से जूझ रहे थे |
क्या होती है अनिद्रा की बीमारी ?
डॉ. मयंक ने कहाँ “इंसोम्निया एक जटिल बीमारी है जिसको समझने के लिए हमे यह समझना होगा की किस प्रकार की परेशानी को इंसोम्निया या अनिद्रा कहा जा सकता है |”
अगर आपको इनमें से कोई भी चीज़ हो रही हो तो आपको इंसोम्निया हो सकता है –
- नींद आने में दिक्कतें आना
- रात भर सोने में परेशानी आना (नींद का बार-बार भंग हो जाना)
- सुबह जल्दी नींद खुल जाना और उसके बाद वापस सोने में दिक्कत आना
“क्या कम घंटों के लिए सोना भी अनिद्रा कहलाता है ?” ऋषि ने पूछा |
“पूरी नींद के लिए हमे दिन में कितने घंटे सोना चाहिए, यह हर इंसान के लिए अलग होता है | परन्तु हम कितने घंटे सोए, इससे ज़्यादा ज़रूरी यह है की हमारी नींद कैसी रही |”
इंसोम्निया (insomnia meaning in hindi) में होने वाले दूसरे लक्षण हैं –
- थकावट होना
- पूरे दिन सुस्त महसूस करना
- ध्यान देने में दिक्कतें आना
- मनो-दशा में बदलाव आना
- दफ़्तर या स्कूल में काम करने की क्षमता में खलल आना
पर्याप्त नींद प्राप्त न होने के कारण इंसोम्निया जैसी बीमारी एक इंसान के जीवन के हर पहलू पर गहरा असर डालती है |
ऋषि को इस बीमारी के बारे में और जानने की इच्छा थी इसीलिए डॉ. मयंक ने विस्तार में समझाया |
“इंसोम्निया दो तरह की हो सकती है – एक्यूट और क्रोनिक | एक्यूट इंसोम्निया केवल थोरे समय के लिए होती है | यह जीवन में अचानक कोई बदलाव या तनाव आने पर हो सकती है | परन्तु यह कुछ दिनों या हफ़्तों बाद अपने आप ठीक हो जाती है | क्रोनिक इंसोम्निया तब होती है जब किसी को अनिद्रा के लक्षणों का हफ़्ते में कम से कम तीन बार सामना करना पड़ता है और यह कम से कम तीन महीनों तक होता है |”
“इंसोम्निया के क्या कारण हो सकते है ?” ऋषि ने डॉक्टर से पूछा |
अनिद्रा किन कारणों से हो सकती है ?
एक अच्छी नींद पाने में कई चीज़ों का हाथ होता है जैसे कि – दिनचर्या की आदतें, सोने का व्यव्हार और शारीरिक स्वास्थ्य |
इंसोम्निया (insomnia meaning in hindi) के अनेक कारण हो सकते है मगर अक्सर यह किसी अन्य बीमारी का असर होता है |
अनिद्रा रोग होने के कुछ कारण हैं –
- मनोवैज्ञानिक फैक्टर्स – मनोवैज्ञानिक परिस्तिथियाँ जैसे अधिक से ज़्यादा तनाव लेना, उत्सुकता होना और डिप्रेशन होना इंसोम्निया के आम कारणों में से एक है | “यह होने पर अक्सर मरीज़ एक चक्र में फस जाता है जहाँ वह ज़्यादा चिंता करने से इंसोम्निया का शिकार हो जाता है और नींद न आने पर और ज़्यादा तनाव लेने लगता है |”
- काम और यात्रा की अनुसूची – इंसोम्निया उन लोगों को ज़्यादा होती है जो काम की वजह से अक्सर यात्रा के लिए भिन्न टाइम ज़ोन्स के देशों में जाते रहते है या जिनको देर रात तक या सुबह जल्दी शिफ्ट के लिए आना पड़ता है | इस अनियमित अनुसूची से उनका बॉडी क्लॉक बिगड़ सकता है |
- सोने की ख़राब आदते – अगर आपके सोने का समय अनियमित है, आप दिन-भर में कई बार झपकियाँ लेते है, सोने से पहले उत्तेजनापूर्ण कार्य करते है या सोते वक़्त बेचैन रहते है तो आपको इंसोम्निया होने की संभावना है |
- अन्य बीमारी – कुछ बिमारियों के होने से इंसोम्निया हो सकता है | ये बीमारियाँ है – लम्बे समय से शरीर के किसी हिस्से में दर्द होना, डायबिटीज, कैंसर, हृदय रोग, थाइरोइड की बीमारी, अस्थमा या किडनी का रोग |
- अन्य बीमारी के लिए दवाइयाँ – अक्सर कुछ बिमारियों के लिए दवाइयों के लेने से नींद में परेशानियाँ आ सकती हैं | ये बीमारियाँ हैं – डिप्रेशन, थाइरोइड और उच्च रक्त चाप | “कई बार लोग बिना डॉक्टर के परामर्श लिए केमिस्ट से दर्द, एलर्जीस, वज़न घटाने जैसी चीज़ों के लिए दवाइयाँ लेते हैं जो नींद में खलल डाल सकते हैं |”
- अन्य नींद की बीमारियाँ – माना कि इंसोम्निया खुद में ही एक नींद से जुड़ी परेशानी है परन्तु यह किसी अन्य नींद संबंधित बीमारी का परिणाम भी हो सकता है | “अगर किसी को sleep apnoea जैसी बीमारी है जिसमें – सोते वक़्त कभी कभार साँसें अचानक से रुकती और चलने लगती है – या फिर वह बीमारी है जिसमे इंसान की टांगों में अनिच्छा से एक व्याकुलता हो जाती है (restless legs syndrome), तो ऐसे लोगों के नींद में परेशानियाँ आने की संभावना ज़्यादा होती है |”
बढ़ती उम्र और अनिद्रा
बढ़ती उम्र में अच्छे से नींद न आना एक आम बात है |
डॉ. मयंक के अनुसार – “जैसे-जैसे आप बुज़ुर्ग होते जाते है वैसे-वैसे आपकी नींद व्याकुल हो जाती है जिसके कारण छोटी से छोटी आवाज़ होने पर भी आपकी नींद भंग हो सकती है | इससे रात भर अच्छी नींद लेने में दिक्कतें आती है |”
उम्र के बढ़ने पर इंसान का शारीरिक चक्र भी छोटा होने लगता है | इसका मतलब यह है कि बुज़ुर्गों को दिन ढलने पर ही थकावट महसूस होने लगती है जिससे वे जल्दी सो जाते है और इसके कारण सुबह जल्दी उठ जाते है | और तो और बुढ़ापा कई बीमारियाँ भी साथ लाता है – जैसे कि आर्थराइटिस और घबराहट – जिससे उनकी नींद कच्ची हो जाती है |
क्या महिलाओं में अनिद्रा होने की संभावना ज़्यादा होती है ?
डॉ. मयंक इस पर कहतें हैं – “महिलाओं के हॉर्मोन्स में कई विशेष बदलाव होते है जिससे उनको इंसोम्निया हो सकता है -”
- मासिक धर्म – अक्सर महिलाएँ माहवारी होने से कुछ दिन पहले नींद आने में परेशानी की शिकायत करतीं हैं | माहवारी के समय कई हॉर्मोनल बदलाव होते है जिससे उन्हें PMS यानि Pre Menstrual Stress जैसी स्तिथि का सामना करना पड़ता है | इससे उन्हें इंसोम्निया हो जाता है |
- गर्भावस्था – गर्भधारण करने पर, ख़ास तौर पर तीसरे ट्रिमेस्टर में कई महिलाओं की नींद कच्ची हो जाती है जिससे रात में कई बार उनकी नींद भांग हो जाती है | अक्सर शारीरिक असुविधा और पैरों में दर्द के कारण उन्हें नींद आने में भी परेशानी होती है |
- मीनोपॉज – मीनोपॉज आने पर या माहवारी बंद होने पर महिलाओं को कई लक्षणों का सामना करना पड़ता है जैसे कि अचानक से तेज़ गर्मी लगना (hot flushes) जो उनकी नींद में खलल डालता है |
डॉ. मयंक के पूछताछ करने पर और ऋषि की मेडिकल हिस्ट्री की जांच करने पर पता चला की उनकी अनिद्रा का कारण था उनकी उच्च रक्त चाप की दवाइयाँ जो उन्होंने करीबन 7 माह पहले लेनी शुरू करी थी |
ऋषि ने चिंताजनक पूछा – “इंसोम्निया को कैसे ठीक किया जा सकता है?”
कैसे करे अनिद्रा का इलाज ?
अनिद्रा का इलाज प्रायः उससे जुड़ी बीमारी या कारण को ठीक करके किया जा सकता है | इसके साथ-साथ जीवनशैली में कुछ एहम बदलाव करके इसके लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है |
मेडिकल रास्तें
मेडिसिन में इंसोम्निया (insomnia meaning in hindi) के रोग को ठीक करने का पहला कदम होता है Cognitive Behavioral Therapy (CBT) करना |
डॉ. मयंक का कहना है – “इस थेरेपी से हमे इंसोम्निया के मनोवैज्ञानिक कारणों के बारे में गहराई से पता चलता है जिससे फिर हम मरीज़ को उनकी उत्सुकता या anxiety से बाहर निकाल पाते है | इससे उनका तनाव कम होता है जिससे अच्छी नींद आने की संभवना बढ़ जाती है |”
दवाइयाँ
कभी कभार जब नींद न आने की समस्या गंभीर हो जाती है तो मरीज़ को नींद की गोलियाँ भी दी जा सकती है | परन्तु यह केवल डॉक्टर की देखरेख में ही होना चाहिए |
“नींद की गोलियों से मरीज़ रात भर अच्छे से सो पाता है ताकि सुबह उठके वह ताज़ा महसूस कर सके और पूरे दिन ढंग से काम कर सके |
जीवनशैली में बदलाव
अनिद्रा रोग को ठीक करने के लिए सबसे एहम है अपने जीवनशैली और दिनचर्या में कुछ बदलाव लाना |
इंसोम्निया (insomnia meaning in hindi) से जूझ रहे लोग निन्मलिखित टिप्स का पालन करके राहत पा सकते हैं –
- एक नियमित सोने की दिनचर्या का निर्वाह कीजिए – इंसोम्निया से जूझने में सबसे ज़रूरी कदम है अपने जैविक घड़ी (biological clock) को ठीक करना | रोज़ एक ही समय सोने जाइए और रोज़ सुबह एक ही समय उठिए ताकि आपकी जैविक घड़ी नियमित हो जाए | इससे समय होने पर आपको नींद आने में मदद मिलेगी |
- सोने के लिए एक आरामदायक वातावरण बनाइए – सोने के लिए सबसे अच्छी जगह होती है एक शांत, अँधेरी, ठंडी जगह जहाँ ज़्यादा शोर होने की सम्भावना कम होती हो | यह पक्का कर लीजिए कि आपका बिस्तर और तकिए नरम और आरामदेह है | अगर आपके कक्ष में ज़रा भी रौशनी आ रही हो जो आपके सोने में बाधा डाल रही हो तो आप आँखों पर मास्क पहन कर भी सो सकते हैं |
- सोने जाने से पहले स्क्रीन न देखें – इलेक्ट्रॉनिक यंत्र जैसे कि लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल और टेलीविज़न एक नीली रौशनी छोड़ते है जो नींद को ख़राब करने की क्षमता रखती है | ध्यान रखिए कि आप सोने से कम से कम एक घंटे पहले किसी भी प्रकार का स्क्रीन न देखें | कंप्यूटर या मोबाइल इस्तेमाल करने के बजाय आप किताब पढ़ें या गाना सुनें जिससे आपको नींद आने में सहायता मिले |
- दिन में झपकियाँ न लें – दिन में बार-बार छोटी झपकियाँ लेने से अक्सर रात को सोने में परेशानी आती है | अपनी नींद रात के लिए बचाए रखें |
- सोने से पहले ज़्यादा कुछ न पिए – सोने से पहले ज़्यादा पानी, कॉफ़ी, शराब जैसी चीज़ें पीने से परहेज़ करें | अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीने से रात को ज़्यादा पेशाब आने की संभावना हो जाती है जिससे बार-बार उठना पड़ जाता है |
डॉ. मयंक ने ऋषि को समझाते हुए कहाँ – “रात को सोने की ज़्यादा कोशिश न करें | अक्सर अधिक मात्रा में कोशिश करने पर नींद और दूर भागने लगती है | बिस्तर पर लेटने से डरिए मत यह सोच कर कि आपको नींद आएगी की नहीं | सोने से पहले कुछ आरामदेह कार्य करिए और बिस्तर पर तभी लेटिए जब आपको थकान महसूस होने लगे और आपकी आँखें बंद होने लगे |”
ऋषि ने डॉक्टर की हर बात को ध्यान से सुना | उन्होंने डॉक्टर की सलाह मान कर अपने उच्च रक्त चाप की दवाइयों को बदलकर ऐसी दवाइयाँ लेनी शुरू करी जिससे उनकी नींद पर असर न होता हो | उन्होंने खुदसे यह भी वादा किया कि वह हर उपाय का पालन करेंगे और ज़्यादा तनाव नहीं लेंगें |