बच्चे को जन्म देना एक औरत के लिए सबसे प्राकृतिक और सुखद अनुभव होता है। लेकिन कुछ लोग नार्मल डिलीवरी को बहुत दर्दनाक और जोखिम वाला अनुभव समझते हैं। हालांकि सामान्य प्रसव के समय दर्द तो होता ही है , लेकिन सही तैयारी के साथ और normal delivery ke upay (in hindi) का पालन करने से यह पीड़ा सहनीय हो सकती है।
कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी या सिजेरियन?
हर स्वस्थ महिला को नार्मल डिलीवरी द्वारा जन्म देने का पूरा प्रयास करना चाहिए।
अगर आप नार्मल डिलीवरी की कामना करती है तो आपको सबसे पहले एक ऐसे डॉक्टर की पहचान करनी चाहिए जो नॉर्मल डिलिवरी को बढ़ावा देती हो।
डॉक्टर अनीता सभरवाल आनंद जो सीताराम भारतिया हॉस्पिटल में गायनेकोलॉजिस्ट है बताती है, “माँ और शिशु दोनों के लिए नार्मल डिलिवरी के कई सारे लाभ है जैसे की ,
- नार्मल प्रसव के बाद महिलाएं सामान्य कामकाज में जल्द वापस आ जाती है
- वह अपने शिशु को तुरंत स्तनपान (breastfeeding at birth) कर पाती है और उसकी देखभाल भी कर लेती है
शिशु के लिए
- प्रसव के तुरंत बाद माँ के सीने से लगना और स्तनपान करना बहुत महत्वपूर्ण है क्यूंकि माँ का दूध बच्चों को रोगों से बचा सकता है
- रिसर्च के अनुसार नार्मल डिलीवरी द्वारा जन्म हुए बच्चे को आगे जाकर मधुमेह, मोटापा या अस्थमा जैसे रोग होने की कम संभावना है । ”
“हम यह नहीं कह रहे कि सिज़ेरियन गलत तरीका है , बल्कि यह बताना चाहते है कि सिज़ेरियन की ज़रुरत सिर्फ़ कुछ ही स्तिथिओं में होती है जैसे की,
- प्लेसेंटा प्रिविआ (placenta previa)
- प्लेसेंटा अकरीटा (placenta accreta)
- ब्रीच बेबी (breech baby)
इन स्तिथिओं में सिज़ेरियन आप और आपके शिशु के लिए उचित और सुरक्षित निर्णय है। “
पढ़ें: 9 Indications Where a Cesarean May be Avoidable
पर याद रहे , सिज़ेरियन का निर्णय तब ही लेना चाहिए जब ऐसी कोई गंभीर स्तिथि हो। सिज़ेरियन एक ऑपेरशन है जिसके बाद वापस स्वस्थ होने में समय लग जाता है। इसके बाद आपकी अगली गर्भावस्था में भी समस्याएं बढ़ सकती है।
क्या आपको सिज़ेरियन की सलाह दी गई है परंतु आप नॉर्मल डिलिवरी ही चाहती हैं ? आइए दक्षिण दिल्ली में हमारे डॉक्टर से मिलने और समझें की क्या नार्मल डिलिवरी आपके लिए सही है? मुफ्त कंसल्टेशन के लिए हमें +91 9871001458 पर कॉल करें।
सीताराम भारतिया हॉस्पिटल में 2016 -18 में 88 % low-risk first-birth महिलाओं की हमारे staff gynecologists द्वारा नार्मल डिलीवरी हुई।
Normal delivery ke liye kya kare?
नॉर्मल डिलीवरी के तैयारी के लिए पहला कदम है उसके बारे में जानकारी हासिल करना। नीचे दिए गए normal delivery ke upay(in hindi) को ध्यान से पढ़ें और लाभ उठाए।
1. पहले तिमाही से ही जागरूक रहे
जितनी जल्दि हो सके नार्मल डिलीवरी की प्रक्रिया को समझने का प्रयास करें। आप इंटरनेट पर लेख पढ़ कर ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी पा सकती हैं ।
तीसरी तिमाही में मानसिक और शारीरिक रूप से तैयारी करने के लिए आप antenatal classes में भाग ले सकती हैं । यहाँ पर गायनेकोलॉजिस्ट, physiotherapist और pregnancy counselor आपको नार्मल डिलीवरी टिप्स बताएंगें । Antenatal classes में आपको साँस लेने की क्रिया और लेबर के लिए व्यायाम और पोज़िशन भी सिखाएंगें। इनसे प्रसव सहने की क्षमता बढ़ जाती है और प्रसव के प्रगति में आसानी होती है ।
2. डॉक्टर के चयन में समझदारी करें
डॉक्टर और हॉस्पिटल ढूँढ़ते वक्त यह ध्यान रखें कि उनके cesarean rates क्या है। इससे आपको अंदाज़ा हो जाएगा कि वह नार्मल डिलीवरी को प्रोत्साहित करते है या नहीं।
“पहली बार गर्भवती महिलाओं में cesarean rate 25% से कम होना चाहिए।”
जहा हो सके उन डॉक्टर के साथ अन्य महिलाओं का अनुभव जानने की कोशिश करें। डॉक्टर के reviews पढ़ें और अपने appointment के समय दूसरे महिलाओं से बात करें।
Normal delivery ke upay (in hindi) में से एक सलाह यह भी है कि आप न सिर्फ डॉक्टर को चुनने बल्कि पूरे टीम और हॉस्पिटल के बारे में सोचे। पता कीजिए कि क्या वहा पर गर्भावस्था को पूर्ण रूप से समझा जाता है? क्या dietician/counselor और physiotherapist भी गर्भवती महिलाओं की सहायता के लिए उपस्थित होते है?
3. Pregnancy counselor की मदद से गर्भावस्था के खानपान पर काबू करें
गर्भास्था के दौरान वज़न का ज़्यादा बढ़ना बच्चे और माँ के लिए हानिकारक हो सकता है । आपको अपने और अपने बच्चे के लिए दुगनी मात्रा में खाने कि ज़रुरत नहीं हैं। आपको केवल 200 -300 कैलोरी अतिरिक्त खाना पड़ेगा।
यह कैलोरी आपके गर्भावस्था के पहले के वज़न और कोई मेडिकल विकार पर भी निर्भर होगा। इसलिए बेहतर है कि आप अपने हॉस्पिटल की dietician /pregnancy counselor की मदद से अपना प्रेगनेंसी डाइट चार्ट बनाए। हर 2 – 3 घंटे कुछ न कुछ पोषण भरा खाएं जैसे कि फल व लस्सी, गुड़ और साबुत चना आदि।
4. रोज़ व्यायाम करना न भूलें
डॉ अनीता कहती है, “ अगर आपने पहले कभी व्यायाम नहीं करा हो , तो आप शुरआती दौर में प्रतिदिन 15 से 20 मिनट टहलें। धीरे – धीरे 40 मिनट की सैर करना शुरू करें। “
Physiotherapist की मदद से आप ऊंट और बिल्ली, उकडूँ बैठना, ब्रिजिंग जैसे 9th month pregnancy exercise for normal delivery (in hindi) भी सीख सकते है। यह आपके कूल्हों और जांघ की शक्ति बढ़ाते हैऔर लेबर पेन से भी राहत देते है। इससे आपकी सहनशीलता बढ़ेगी जिससे प्रसव को सहने में आप सक्षम होंगी ।
5. Painless delivery (in hindi) के बारें में जानें
प्रसव के समय व्यायाम करने से आपका ध्यान बट जाता है और दर्द घटने लगता है। यह प्रसव पीड़ा कम करने का एक साधन है।
Bina dard ke normal delivery के और भी तरीके है जैसे Entonox गैस जो आपको कुछ सेकंड में ही दर्द से राहत देता है। Entonox गैस विदेश में बहुत इस्तेमाल किया जाता है। यह काफी सुरक्षित माना जाता है और इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते।
अगर आपके प्रसव में कोई अर्चन न हो तो आप water labour भी इस्तेमाल कर सकती है। इसमें आप एक छोटे से पूल में गरम पानी में पूरे प्रसव के दौरान बैठ सकती है। सदियों से माना जाता है कि गरम पानी दर्द से सुकून देता है।
अगर इन तरीको के प्रयोग के बावजूद भी आपकी प्रसव पीड़ा असहनीय है तो आप Epidural मांग सकती है।
“Epidural injection आपकी पीठ में लगाया जाता है जिससे आपका निचला हिस्से सुन्न हो जाता है। इसके कई दुष्प्रभाव होते है तो इसे सावधानी से चुने।”
6. लेबर और डिलीवरी का साथी या ‘Birthing Partner’ चुनें
सही साथी या ‘birthing partner’ की पहचान करना भी normal delivery ke upay (in hindi) में से एक है। यह साथी आपको प्रसव पीड़ा का सामना करने में बहुत सहारा दे सकता है। किसी ऐसे व्यक्ति को चुने जिस पर आप पूरी तरह से भरोसा कर सकती है और जो आपको समझता है। हालांकि कई महिलाओं के लिए यह व्यक्ति उनका पति होता है, लेकिन आपका ‘birth partner’ आपकी माँ या सासु-माँ भी हो सकती है। आप दोनों को साथ-साथ antenatal class में भाग लेना चाहिए। इस में आपके ‘birth partner’ को सिखाया जायेगा की लेबर के समय आपकी मालिश कैसे करनी चाहिए , कौनसे व्यायाम करवाने चाहिएँ और आपको प्रोत्साहित कैसे करना चाहिए ।
7. खुद पर भरोसा रखें
आपके साथी या ‘birthing partner’ के पास होने से आपको ताकत मिलेगी ही लेकिन यह बहुत ज़रूरी है कि आप खुद पर विश्वास करें।
आपका शरीर प्राकृतिक रूप से शिशु को जन्म देने के लिए निर्मित है। बस आप नियमित रूप से अपने व्यायाम और सांस लेने की शैली का अभ्यास करें और अपने होने वाले शिशु पर ध्यान केंद्रित रखें।
सोनाली वर्मा का नार्मल डिलीवरी का अनुभव
सीताराम भारतिया हॉस्पिटल में अपनी पहली प्रसूति के बाद सोनाली वर्मा का कहना है ” शुरू शुरू में मैंने सोचा की मैं सिज़ेरियन करवा लूंगी। लेकिन जब मैंने नॉर्मल डिलीवरी के लाभ समझे, मैंने अपना निर्णय बदल दिया । Labour exercises जो मैंने antenatal class में सीखीं वह मुझे प्रसव के दौरान बहुत काम आईं। डॉक्टर ने मेरे पति को labour के समय मेरे साथ रहने के लिए प्रेरित किया। “
“मैं इतनी खुश हूँ कि मुझे ऐसा हॉस्पिटल और डॉक्टर मिला जो नॉर्मल डिलीवरी को बढ़ावा देते हैं। ”
यह लेख डॉ अनीता सभरवाल आनंद के मदद से लिखा गया है। डॉ अनीता के Obstetrics and Gynecology के क्षेत्र में 24 वर्ष का अनुभव है। वह नार्मल डिलीवरी करने में रूचि रखती है । यह लेख पहली बार June 2017 में लिखा गया था और December 2019 में संपादित किया गया है।
सीताराम भारतिया हॉस्पिटल में डॉ अनीता को नियमित वेतन दिया जाता है, यानी कि उन्हें अनावश्यक परीक्षणों या प्रक्रियाओं की सलाह के लिए कोई आर्थिक लाभ नहीं होता।
डॉ अनीता सभरवाल आनंद
- स्टार रेटिंग: ★★★★★ 9 reviews पर आधारित
- Qualifications: MBBS, Lady Hardinge Medical College, University of Delhi (1992), MD (Obstetrics & Gynaecology), Lady Hardinge Medical College, University of Delhi (1997), DNB Secondary (Obstetrics & Gynaecology), National Board of Medical Education, New Delhi (1999)
- अनुभव: 19 वर्ष
- Interests: General and High-Risk Obstetrics.
- विशेषताएं: विस्तृत परामर्श और आश्वासन देने वालीं
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धन्यवाद
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“ 40 साल की उम्र में गर्भकालीन मधुमेह (Gestational diabetes) होते हुए भी मेरी नार्मल डिलीवरी हुई और यह सब अनीता द्वारा प्रदान किए गए सही मार्गदर्शन और समर्थन के कारण है। मैं उनकी सभी सलाह और मदद के लिए उनकी बहुत आभारी हूं। वह एक अत्युत्तम डॉक्टर हैं| ” – सुहास शेतगोवेकर
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“डॉ अनीता सभरवाल सीताराम भरतिया में एक उत्तम ओब्स-गयनेकगिस्ट हैं| उनका ज्ञान, अनुभव और कौशल इस अस्पताल के लिए एक संपत्ति है। वह बहुत आश्वस्त है, हमेशा एक मुस्कुराहट के साथ हमारे असंख्य सवालों और चिंताओं का जवाब देती हैं। उनकी विशेषज्ञता ने हमारे बच्चे के लिए एक सामान्य और स्वस्थ डिलीवरी सुनिश्चित की है। ” – गौरी वर्मा