गर्भावस्था के दुसरे तिमाही में किरन गुप्ता, 28, अपने और अपने शिशु के देखभाल (pregnancy care in hindi) के लिए हमारे डॉक्टर से जाँच करने आईं|
जाँच करने पर पता चला किरन गर्भावस्था के उचित निर्देशों (pregnancy guidelines) का पालन नहीं कर रहीं थी|
“सुरक्षित डिलीवरी के लिए सही समय पर गर्भावस्था देखभाल ज़रूरी है,” ऐसा कहती है डॉ पञ्चमप्रीत कौर , सीताराम भरतिया के Consultant Obstetrician|
हमारे डॉक्टर के सलाह से किरन ने normal delivery के लिए यह बदलाव अपनी रोज़ की ज़िन्दगी में शामिल किए –
गर्भावस्था देखभाल के उपचार (pregnancy care tips)
1. हल्का व्यायाम करें
किरन को रोज़ व्यायाम करने की आदत डलवाने के लिए डॉक्टर ने उन्हें दिन में कम-से-कम 30-40 मिनट टहलने को कहाँ|
“आपको इस दौरान हल्का व्यायाम – जैसे योग – नियमित तोर पर करना चाहिए| विशेष रूप से, व्यायाम शरीर का दर्द कम करने में मदद करता हैं|”
सीताराम भरतिया के फ़िज़ियोथेरेपिस्ट ने किरन को गर्भावस्था में किए गए कुछ antenatal exercises, जैसे तितली आसान (butterfly exercise) और cat/camel pose (मार्जार्यासन या उष्ट्रासन) भी सिखाएं|
ध्यान दें, उचित योग और व्यायाम की जानकारी आप अपने डॉक्टर से पहले ही पूछ लें|
2. पोषण पर नज़र रखें
किरन को गर्भावस्था के पहले से ही जंक फ़ूड खाने की आदत थी, जिसकी वजह से उनका आहार संतुलन में नहीं रह पाता था|
“गर्भवती होने पर आपको दो लोगो के बराबर नहीं खाना है|”
स्वस्थ सेहत और आरामदेह डिलीवरी के लिए आपको पौष्टिक आहार खाना ज़रूरी है|
डॉक्टर की सलाह के उपरांत, किरन ने अपने भोजन में फोलिक एसिड (folic acid), लौह (iron), कैल्शियम (calcium) और प्रोटीन-युक्त (protein) खाद्य पदार्थ सही मात्रा में शामिल करना शुरू कर दिया|
“इनकी कमी आहार से पूरी न हो तो अपने डॉक्टर की सलाह से prenatal supplements लें|”
3. गैस्ट्रिक समस्याओं से निपटें
गर्भावस्था में हो रहे गैस्ट्रिक समस्याएं, जैसे मितली होना (nausea), आपके खाने की इच्छा को मिटा देता हैं|
डॉक्टर ने किरन को फ़िक्र न करने को कहा और आहार में बदलाव लाने के यह उपाय दिए –
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- थोड़े-थोड़े समय में कुछ खाते पीते रहें और कभी खाली पेट न रहें|
- सॉफ्ट ड्रिंक्स, जंक फ़ूड और मसालेदार या तेलयुक्त आहार से खट्टी डकार होने की सम्भावना बढ़ती है – इनसे परहेज़ करें|
- हद से अधिक कैलोरी-युक्त आहार जैसे तले हुए खाद्य-पदार्थ का सेवन न करें| गर्भावस्था के समय ज़्यादा खाने या अटपटा खाने से आने वाले समय में स्वास्थ्य एवं डिलीवरी में मुश्किलें आ सकती हैं|
किरन ने पौष्टिक आहार के सेवन और नियमित व्यायाम से अपने वज़न पर संयम रखना शुरू कर दिया|
4. परिवार का सहारा
इस दौरान, विशेष रूप से डिलीवरी में, अपने परिवार और जीवन-साथी के सहारे से हिम्मत मिलती है| एक संवेदनशील जीवन-साथी माँ बनने की ख़ुशी को दुगना करता है|
“जितना हो सके अपनी घर और बाहर की अन्य ज़िम्मेदारियों, जैसे सफाई, खाना पकाना, आदि, को अपनी जीवन-शैली में अपनाएं|”
अपने antenatal जाँच के दौरान, किरन को अपने पति के सहारे से काफी हौसला मिला| Antenatal जाँच पर उपस्थित रहकर किरन के पति भी गर्भावस्था के सफर में शामिल हो पाएं|
परिवर्तन लाने के लिए उत्सुक, किरन ने डॉक्टर से pregnancy care (in hindi) से संबंधित और जानकारी मांगा –
पहले तिमाही में देखभाल (pregnancy care tips first 3 months in hindi)
गर्भवती होने पर सबसे पहले अपने डॉक्टर से मिलना और चिकित्सा कराना बहुत महत्वपूर्ण है|
“इन दिनों खाने का मन न करना, मितली होना (nausea), थकान होना या चिड़चिड़ा महसूस करना – यह सब आपके शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलावों की वजह से होता है|”
अपने डॉक्टर से अपनी मेडिकल हिस्टरी न छुपाएं और डिलीवरी से पहले सही देख-रेख की योजना बनाएं| इस दौरान अपने गर्भावस्था से संबंधित सारे सवाल डॉक्टर से ज़रूर पूछें|
परामर्श करते समय डॉक्टर आप और आपके शिशु इन चीज़ों पर गौर करेंगे:
- आपकी शारीरिक जाँच, शिशु का विकास जानने के लिए अल्ट्रासाउंड और संबंधित ब्लड टैस्ट
- पौष्टिक भोजन और व्यायाम से जीवनशैली में बदलाव लाना
- फोलिक एसिड (folic acid) का सेवन
दुसरे तिमाही में देखभाल (second trimester pregnancy care in hindi)
दुसरे तिमाही में आपके शिशु का विकास मापा जाता है| किरन को जाँच के समय पता चला की इस तिमाही में शिशु का हिलना-डुलना महसूस होने लग जाता है|
“पहली बार गर्भवती महिलाओं को 18 हफ्तों (5th महीनें) के आस-पास पेट के निचले हिस्से में हलके झटके महसूस हो सकते हैं|”
इस तिमाही में आपको प्रीनेटल टेस्टिंग (prenatal testing) करवा लेना चाहिए| ये आप और आपके बच्चे में स्वास्थ्य-संबंधित समस्याओं के लक्षणों का पता लगाते हैं|
तीसरे तिमाही में देखभाल (third trimester pregnancy care in hindi)
डॉक्टर ने किरन को इस तिमाही में स्वास्थ्य का ध्यान रखने को कहा| इन महीनों में आपके चेक-अप की संख्या बढ़ जाएगी|
आपको हर दो हफ्ते में जाँच के लिए बुलाया जाएगा| डॉक्टर आपके ब्लड प्रेशर, वज़न, और शिशु के धड़कनो पर ज़्यादा ध्यान देंगे|
“डिलीवरी की तारीख करीब आने पर आपके शिशु के पोजीशन पर गौर करा जाएगा| डिलीवरी होने तक शिशु का सिर नीचे और पैर ऊपर की तरफ हो जाना चाहिए|”
कुछ ही हफ्तों में किरन को स्वस्थ महसूस होने लगा और उसकी काम करने की क्षमता भी बढ़ने लगी|
“डॉक्टर की सलाह से मेरे मन में सुरक्षित एवं नार्मल डिलीवरी की उम्मीद धीरे-धीरे बढ़ने लगी और आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई,” कहा किरन ने|
क्या आपके मन में गर्भावस्था से सम्बंधित सवाल हैं ? हमारे हॉस्पिटल आएं और डॉक्टर से मिलें। मुफ्त परामर्श के लिए हमें +91 9871001458 पर कॉल करें।