“अकसर लोग समझते है कि प्रेग्नन्सी के दौरान थायराइड (thyroid in pregnancy in hindi) बहुत बढ़ी समस्या है लेकिन सही ट्रीटमेंट और समय-समय पर जाँच से थायराइड नियंत्रण में रखा जा सकता है” सीताराम भरतिया की डॉक्टर, डॉ प्रीति अरोरा धमीजा कहती है।
प्रेगनेंसी के दौरान थायराइड : हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism)
भारत में 10 में से 1 महिला थायराइड की रोगी है।
डॉ प्रीति कहती है, ” थायराइड एक आम बीमारी है इसलिए हम जितना जल्दी हो सके हर गर्भवती महिला का थायराइड हॉर्मोन (Thyroid Stimulating Hormone या TSH) की जाँच करते हैं।”
ज़्यादातर महिलाओं को हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) होता है जिसमे थायराइड ग्लैन्ड उचित मात्रा में हॉर्मोन नहीं बनाता। हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित महिलाएँ अनियमित माहवारी और गर्भधारण करने में मुश्किल महसूस कर सकती हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अक्सर सबक्लिनिकल हाइपोथायरायडिज्म होता है। इस स्थिति में थायराइड के लक्षण दिखते नहीं है, पर प्रेगनेंसी के दौरान TSH का लेवल बहुत बढ़ जाता है। इसके लिए सही उपचार अनिवार्य है।
डॉ प्रीति समझाती है, “प्रेगनेंसी से पूर्ण ही सबक्लिनिकल हाइपोथायरायडिज्म का इलाज हो जाना बेहतर है।”
“इससे प्रेगनेंसी में कम परेशानी होती है”
“अगर thyroid in pregnancy का इलाज नहीं करवाया गया तो यह बच्चे के संज्ञानात्मक विकास (cognivitive develoment) में बाधा डाल सकता है। अगर इसका इलाज न हो तो कुछ गिने -चुने केस में प्रीटर्म लेबर, उच्च रक्त चाप और गर्भपात (मिस्कैरिज) की संभावना बढ़ सकती है।”
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गर्भवती के दौरान थायराइड: हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism)
हाइपरथायरायडिज्म में थायराइड ग्लैन्ड ज़रुरत से ज़्यादा हॉर्मोन बनाता है।
डॉ प्रीति बताती है, “काफी कम महिलाओं को हाइपरथायरायडिज्म होता है और इसके लिए ऐन्टी-थायराइड की दवाई लेने पड़ती हैं।”
हाइपरथायरायडिज्म में अधिक जाँच की आवश्यकता होती है क्यूंकि इस से बच्चे के थायराइड ग्लैन्ड पे भी असर पड़ सकता है।
“अगर हाइपरथायरायडिज्म का उपचार न कराया जाए तो कभी-कभी यह प्रीटर्म लेबर, उच्च रक्त चाप और गर्भपात (मिस्कैरिज) के खतरे को बढ़ा सकता है।”
Read (in English) : Thyroid During Pregnancy: 3 Things You Need to Know
How to control thyroid in pregnancy in hindi: प्रेगनेंसी में थायराइड का उपचार
डॉ प्रीति समझाती है, “हाइपोथायरायडिज्म में TSH लेवल को नियंत्रण में रखने के लिए, हर सुबह गर्भवती महिला को थायराइड के सप्लमेन्ट लेने होंगे।”
याद रहे की थाइराइड का TSH लेवल गर्भवती महिलाओं के लिए अलग होता है, और उचित TSH लेवल हर ट्राइमेस्टर में बदलता है।
डॉ प्रीति कहती है, “अपनी रिपोर्ट के परिणाम का निष्कर्श खुद ना निकाले और अपने डॉक्टर से सलाह ले”
“अगर आपको गर्भावस्था के दौरान थायराइड है, तो हर 6 हफ़्तों में आपको TSH लेवल की जाँच करानी चाहिए।”
अंत में डॉ प्रीति कहती है, “जब तक आपका TSH लेवल नियंत्रण में है तब तक चिंता का कोई विषय नहीं है।”
यह ब्लॉग डॉ प्रीति अरोरा धमीजा की सहायता से लिखा गया है | वह एक अनुभवी obstetrician – gynecologist हैं जिनको IVF और Infertility में खास दिलचस्पी है |
सीताराम भारतिया हॉस्पिटल में डॉ प्रीति को नियमित वेतन दिया जाता है, यानी कि उन्हें अनावश्यक परीक्षणों या प्रक्रियाओं की सलाह के लिए कोई आर्थिक लाभ नहीं होता।
डॉ प्रीति अरोरा धमीजा
- स्टार रेटिंग: ★★★★★ 13 reviews पर आधारित
- Qualifications: MBBS, Maulana Azad Medical College, Delhi (1999), M.D, Lady Hardinge Medical College (2004), DNB Obstetrics & Gynecology (2004), Diploma in Pelvic Endoscopy, Kiel, Germany (2014)
- अनुभव: 13 वर्ष
- Interests: Infertility and IVF, Pelvic Endoscopy
- विशेषताएं: विनम्र, मददगार, मिलनसार और शांत।
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डॉ प्रीति अरोरा
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डॉ प्रीति
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