जब वह 9 साल की थी, तृषा को एक दौरा (seizure in hindi) पड़ा। उसके शरीर, हाथ और पैर अजीब तरीके से हिलने लगे।
“मुझे आज भी उस घटना को याद करके डर लगता है,” तृषा की माँ कहती है। “उसका दौरा कुछ देर चला और फिर रुक गया। बाद में तृषा कुछ बोल भी नहीं पाई। “
धीरे-धीरे, तृषा को सप्ताह में दो बार दौरे पड़ने लगे।
डॉक्टर से बात करने पर पता लगा कि यह दौरे मिर्गी के संकेत है।
मिर्गी का मतलब क्या होता है? (Epilepsy meaning in Hindi)
मिर्गी एक ऐसी स्तिथि है जिसमे दिमाग के सामान्य कार्य में अचानक असंतुलन आ जाता है। इस कारण शरीर की तंत्रिकाओं (nerves) में दिमाग से गलत संदेश चला जाता है जिसकी वजह से शरीर असामान्य रूप से व्यव्हार करता है।
Epilepsy के लक्षण (Symptoms of Mirgi in Hindi)
मिर्गी के मुख्य संकेत (symptoms of mirgi in Hindi) है
- दौरे और इस दौरान घूरना, गिरना, हिलना
- आसपास हो रहे चीज़ों की जागरूकता को खो देना
भारत में लगभग 1,20,00,000 लोगो को Epilepsy की बीमारी है।
बच्चों के चिकित्सक ने तृषा के माँ – बाप को सीताराम भारतिया हॉस्पिटल में डॉ. रफ़त त्रिवेदी, Pediatric Neurologist से मिलने की सलाह दी।
डॉ. रफ़त के नम्र स्वाभाव को देख कर तृषा के माँ – बाप आश्वस्त हुए कि वह सही जगह आए है।
अपनी बच्ची की परेशानी सुनाकर उन्होंने अपना मन हल्का किया। डॉ रफ़त ने तृषा के medical history के समभंदित प्रशन पूछें।
मिर्गी (epilepsy in Hindi ) को गहराई में समझने के लिए, तृषा की माँ ने फिर पुछा , “दौरे का मतलब क्या होता है (seizure meaning in Hindi)? डॉ रफ़त समझाते हुए कहती है, “जब दिमाग के सामान्य काम काज में कोई भी रुकावट पैदा होती है, तो दिमाग और शरीर में फ़ासला सा बन जाता है जिस कारण शारीरिक और मानसिक रूप में बदलाव दिखते है। “
मिर्गी (Epilepsy meaning in Hindi) और दौरों (seizure meaning in Hindi) का मतलब ज्ञात होने के बाद तृषा की माँ ने पूछा वही सवाल जो उनके मन में महीनो से मंडरा रहा था,” क्या तृषा को Epilepsy हमारी परवरिश के कारण हुआ है?”
क्या है मिर्गी का कारण? (Causes of Epilepsy in Hindi)
माता – पिता का भय और ऐसे घबरा जाना स्वाभाविक है, परंतु यह जानना ज़रूरी है कि Epilepsy कि बीमारी आपके परवरिश का परिणाम नहीं है।
Epilepsy के अन्य कारण हो सकते है जैसे कि
- आनुवंशिक कारक जिनका कुछ Epilepsy के प्रकार से रिश्ता रिसर्च में देखा गया है
- दुर्घटना में सर में गहरा घाव या दर्दनाक ज़ख्म
- दिमाग का ट्यूमर या स्ट्रोक
- दिमाग में infection जैसे कि meningitis
- जन्म से पहले माँ में infection या शिशु के दिमाग में ऑक्सीजन की कमी
- विकास संभंधित विकार जैसे autism
कैसे करते है मिर्गी का निदान ? (Diagnosis of Epilepsy in Hindi)
तृषा की अवस्था का सही निदान करने के लिए डॉक्टर ने अपनाए यह रास्ते:
- मेडिकल जाँच के दौरान डॉक्टर ने तृषा के बेहोश होने के किस्से के बारे में पूछा। उन्होंने यह भी पता किया कि तृषा को पहले कितने बार दौरे हुए है।
- Video EEG से उन्होंने फिर तृषा के दिमाग के कार्य को परखा। इस प्रक्रिया में बच्ची के सर पर ‘electrodes’ टेप के साथ चिपकाए गए और फिर ‘brain waves’ के सामान्य कार्य में अंतर पर निगरानी रखी।
तृषा के माँ – बाप की बातें सुनकर डॉक्टर को समझमें आया की तृषा को seizure या दौरे कई बार हो चुके थे। उसकी medical history से यह साबित हुआ की दौरे किसी और इन्फेक्शन या अवस्था से जुड़े नहीं थे।
पूरी जाँच – पड़ताल के बाद डॉ. रफ़त यह नतीजे पर पहुँची कि तृषा को Epilepsy या मिर्गी ही है।
तृषा के माँ – बाप ने फिर जानना चाहा की मिरगी का उपचार क्या है।
मिर्गी का इलाज – Mirgi se chutkaara kaise paayein?
“मिर्गी (epilepsy meaning in Hindi) से पीड़ित व्यक्ति को दवाई द्वारा दौरे से मुक्त किया जा सकता है।
“दवाई की उपयुक्ता आपकी अवस्था , दौरे की आवृत्ति और आयु जैसे कई कारक पर निर्भर होता है, ” समझाती है डॉ. रफ़त।
इन सब चीज़ो को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर ने तृषा को एक दवा को कम मात्रा में लेने की सलाह दी।
उन्होंने दोबारा जाँच के लिए तृषा को 6 महीने बाद बुलाया।
“दवा का असर समझना बहुत ज़रूरी है। इसके आधार पर हम तय करेंगे की दवा की मात्रा को बढ़ानी चाहिए या नहीं, ” कहती है डॉ रफ़त।
आपको दवाई के कुछ दुष्प्रभाव जैसे थकावट, सर में हल्का महसूस होना , बोलने में दिक्कत , वज़न बढ़ना आदि की जानकारी होनी चाहिए।
मिर्गी से छुटकारा पाने के लिए और भी उपचार हैं । जब दवाई काम नहीं करती हैं तो सर्जरी, मेडिकल यंत्र या Ketogenic डाइट का चयन किया जा सकता है।
“याद रहे की हर बच्चे की ज़रूरते अलग होती है , और रिपोर्ट के साथ साथ उनकी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। “
तृषा के माँ – बाप को डॉक्टर से मिलकर और विस्तार में बातचीत करके अच्छा लगा। उन्होंने डॉक्टर की सारी बातें ध्यान से सुनी और उनका पालन करने का फैसला किया।
कुछ महीने बाद जब तृषा फिर जाँच के लिए आई , तो न सिर्फ वह खुश नज़र आई बल्कि उसके माँ – बाप भी तनाव-मुक्त लगें।
“जब तृषा को हमने पूरी तरह समझाया कि उसकी अवस्था में उसका कोई दोष नहीं था और इलाज से वह ठीक हो सकती है, तो मानो उसके कंधे से भोज हट गया। उसने दवा लेने से इंकार नहीं किया और सारे अनुदेश का अनुसरण किया। और उसके स्वास्थ्य में सुधार को देख कर हमें प्रसंता महसूस हो रही है, ” कहती है उसकी माँ , मुस्कुराते हुए।
यह लेख हमारी Pediatric Neurologist, डॉ रफत त्रिवेदी के सहयोग से लिखा गया है। डॉ रफत बच्चे के दिमाग, नर्व और स्पाइनल सिस्टम के विकारों का इलाज करती है।
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Degrees: MBBS (2004), DCH (2008), DNB (2010), Fellowship in Pediatric Neurology and Developmental Pediatrics (2012), Fellowship in Pediatric Neurology and Epilepsy (2013)
Consultation fees: ₹1600